इंदौर: वनमाली सृजन पीठ ने कथा, कहानी, रचनाओं के निरंतर पठन-पाठन का जो सिलसिला शुरू किया था, वह लगातार जारी है. इसी क्रम में कथा बैठकी हुई, जिसमें वरिष्ठ साहित्यकारों ने भी शिरकत की और अपनी कहानियों का पाठ भी किया. इस अवसर पर दिवाकर मुक्तिबोध ने कहा कि आज के दौर में पाठक कम हैं. साहित्य और पत्रकारिता का घनिष्ठ संबंध है लेकिन दोनों ही बेपटरी हैं. इन्हें पटरी पर लाने का जितना दायित्व पत्रकारों का है, उतना ही दायित्व साहित्यकारों का भी है. इस अवसर पर उपस्थित डा सीवी रमन विश्वविद्यालय के कुलसचिव गौरव शुक्ला ने साहित्य के बदलते परिवेश और साहित्यकारों को लगातार मिल रहे मंच की चर्चा की और कहा कि हम स्थानीय स्तर से लेकर वैश्विक स्तर तक हिंदी के कथाकार, कहानीकार, रचनाकार को मंच प्रदान कर रहे हैं.
कुछ दिन पूर्व भोपाल में आयोजित विश्व रंग कार्यक्रम, जिसमें 54 देशों से भी अधिक के रचनाकार उपस्थित थे की चर्चा करते हुए शुक्ला ने कहा कि समय बदल रहा है और रचनाकार मुख्यधारा में आ रहा है. निश्चित रूप से आने वाले समय में हम हर रचनाकार तक पहुंचेंगे. इस अवसर पर डा सीवी रमन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रवि प्रकाश दुबे ने कहा कि वास्तव में जिस रचना, कहानी, काव्य को हम पढ़ रहे होते हैं, कहीं ना कहीं पर रचनाकार उसे जी चुका होता है. उन्होंने कहा कि आज के युग में हम जिस गति से तकनीकी में आगे बढ़ रहे हैं, उसी तरह से हमारे कुलाधिपति कला, साहित्य और संस्कृति को लेकर चल रहे हैं.