नई दिल्ली: कला संकुल, संस्कार भारती के अमर्त्य: साहित्य – कला संवाद के चौथे भाग का आयोजन संस्कार भारती के केन्द्रीय कार्यालय के सभागार में हुआ. यह सत्र अयोध्या धाम में प्रभु श्रीराम की प्राण – प्रतिष्ठा और उनके विग्रह स्थापित होने को समर्पित था. इस संवाद के मुख्य अतिथि हिंदी के प्रख्यात कवि एवं गीतकार गजेन्द्र सोलंकी रहे. सोलंकी ने कहा कि प्रभु श्रीराम भारत और भारतीयता की आत्मा हैं. संकल्प से सब होता है. यह मंदिर निर्माण भी संकल्प की देन है. अयोध्या धाम में श्रीराम के पुन: मंदिर निर्माण भारत की भविष्य को तय करने वाला होगा. भारत विश्वगुरु के पथ पर प्रभु श्रीराम की नैतिक शिक्षा से स्थापित होते हुए चहुंओर दिख रहा है. कार्यक्रम संयोजक जलज कुमार अनुपम ने कहा कि प्रभु श्रीराम लोक चेतना के स्वर हैं. लोक में जन्म से लेकर मोक्ष तक प्रभु श्रीराम ही आदर्श के रुप में सदैव से स्थापित रहे हैं और आगे भी रहेंगे. प्रभु श्रीराम का मंदिर अयोध्या जी में बने, इसके लिए पांच सौ वर्षों से हमारे पुरखों ने अपने त्याग और बलिदान के बल पर एक सपना देखा था जो अब पूरा हो रहा है. यह सबके लिए गर्व और गौरव की बात है.
संस्कार भारती के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य अशोक तिवारी ने कहा कि प्रभु श्रीराम की स्थापना असत्य पर सत्य की पुन: स्थापना है. कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई. अमर्त्य: साहित्य-कला संवाद के इस भाग में ‘रम्य राम’ युवा कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें दास आरोही ‘आनंद’, सुमेधा शर्मा, कवि विशाल, कौशल गोंडवी, सूर्य प्रकाश, मोहिनी राय, धरमवीर ‘धरम’, नेहा शुक्ल ‘लक्ष्मी’, प्रिया श्री और ऋद्धि नैनवाल से प्रभु श्रीराम को समर्पित अपनी-अपनी रचनाओं से वातावरण को राममय कर दिया. इस मौके पर संघ के वरिष्ठ प्रचारक बांके लाल गौड़ भी उपस्थित रहे. दिल्ली विश्वविद्यालय और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के युवाओं की भी उपस्थिति थी. मंच संचालन ऋतु और भूपेन्द्र ने किया. कार्यक्रम का सह संयोजन भूपेन्द्र कुमार भगत और उमेश गुप्ता ने किया. मुख्य अतिथि का स्वागत स्मृति चिन्ह देकर किया गया.