शिमलाः शब्द एवं संस्कृति विचार मंच के तत्वाधान में एक व्यंग्य गोष्ठी का आयोजन मॉल रोड पर स्थित गेयटी थियेटर में हुआ. इस अवसर पर व्यंग्य यात्रा के संपादक प्रेम जनमेजय, संजीव कुमार, लालित्य ललित और अशोक गौतम ने भागीदारी की. गोष्ठी में व्यंग्य पाठ और व्यंग्य विमर्श सत्र में जाने माने व्यंग्यकार शामिल हुए. व्यंग्य पाठ के सत्र में दीप्ति सारस्वत, डॉक्टर कुंवर दिनेश, कुल राजीव पंत ने अपनी सामयिक रचनाओं का पाठ किया. इस अवसर पर व्यंग्यकार प्रेम जनमेजय, लालित्य ललित, संजीव कुमार, अशोक गौतम को सम्मानित भी किया गया. कुछ पुस्तकों का विमोचन भी हुआ, जिनमें अशोक गौतम का व्यंग्य संग्रह ‘फर्जी की जय बोल’, सौरभ वशिष्ठ का कविता संग्रह ‘खिड़की जितना आसमान’, दिनेश चमोला की संपादित पुस्तक ‘सृजन के बहाने सुदर्शन वशिष्ठ’ शामिल है. डॉक्टर संजीव कुमार ने व्यापक स्तर पर व्यंग्य लेखकों को जोड़ने पर बल दिया, तो लालित्य ललित में कहा कि व्यंग्यकार तो बहुत है लेकिन व्यंग्य आलोचना के क्षेत्र में अभी व्यापक स्तर पर काम होना बाकी है. विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉक्टर देवेंद्र गुप्ता ने कहा कि आधुनिक और समकालीन लेखन में व्यंग्य एक अनिवार्य हिस्सा है. व्यंग्य एक शक्ति है जो मानवीय धरातल पर मनुष्य की विचारधारा को एक आधार प्रदान करती है.
अध्यक्षीय वक्तव्य में श्रीनिवास जोशी ने कहा कि हास्य और व्यंग्य दोनों क्रियाएं अलग हैं. व्यंग्य के प्रतिमान तेजी से बदल गए हैं देखिए कल ही अमावस्या गई है और आज इस सभागार में कितने चांद निकल आएं है. खुशसूरती बनावटी नहीं होती, वह निष्कपट होती है. व्यंग्य यात्रा के संपादक प्रेम जनमेजय ने कहा कि रचना और रचना पर बात की जाए, यह आवश्यक है. इसमें सबसे बड़ी बात जो लगीं व्यंग्य को विचार की दृष्टि से जोड़ा जाना जरूरी कदम है. जो गांव की पगडंडियां हैं मुझे वहां चलना है, मुझे राजपथ पर नहीं चलना, मुझे निम्न स्तर पर जुड़े विषयों से लड़ना है और वंचित विषयों का प्रतिनिधित्व करना है. व्यंग्य में अगर बेबाकी नहीं है तो वह अशक्त होगा, उसे कबीर की तरह अपनी बात को रेखांकित करना होगा. व्यंग्य की सबसे बड़ी शर्त यह होती है कि वह बेचैनी पैदा करता है. व्यंग्य आपको किसी निष्कर्ष पर लेकर नहीं जाता है, वहां आपको खुद यात्रा करनी पड़ती है. सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्रीनिवास जोशी ने की. इस अवसर पर चिंतक केआर भारती, सेतु पत्रिका के संपादक डॉक्टर देवेंद्र गुप्ता, डॉक्टर कर्म सिंह सहित दर्जन भर स्थानीय गणमान्य लेखक मौजूद थे. कार्यक्रम का आयोजन हिमाचल प्रदेश भाषा साहित्य अकादेमी के सहयोग से किया गया. समारोह में तीन दर्जन से ज्यादा साहित्यकार उपस्थित थे