नई दिल्ली: साहित्य अकादेमी के प्रतिष्ठित कार्यक्रम ‘कविसंधि’ के अंतर्गत पंजाबी के प्रतिष्ठित कवि एवं चित्रकार देव के काव्य-पाठ का आयोजन किया गया. स्वीट्जरलैंड से पधारे देव ने लगभग एक दर्जन कविताओं का पाठ किया और अंत में उपस्थित श्रोताओं के प्रश्नों के उत्तर भी दिए. कार्यक्रम के आरंभ में साहित्य अकादेमी के पंजाबी परामर्श मंडल के संयोजक रवेल सिंह ने देव का स्वागत अंगवस्त्रम प्रदान कर किया और उनका संक्षिप्त परिचय भी श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किया. उनकी कविताओं में प्रमुख थीं- ‘बयान’, ‘1947’, ‘कारसेवक’, ‘परवाज़’, ‘शायर का घर’, ‘मेरा पंजाब’, ‘खेल’, ‘बचपन’ आदि.
श्रोताओं के सवालों के उत्तर देते हुए देव ने कहा कि मैं अपनी कविताओं में चुप्पी को ज्यादा महत्त्व देता हूं. मैं अपनी कविता को पहले आंख से देखता हूं और अर्थों से मुक्त शब्दों से कविता बनाता हूं. मैं शब्दकोशों में बंद शब्दों को निकालकर एकबार फिर उन्हें पाठकों के लिए संजोता हूं. चित्रकला के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मैं एक रंग का ही पेंटर हूं यानी मोनो कलर पेंटर. मैं एक ही रंग का बार-बार प्रयोग कर रंग की एक नई सिम्फनी बनाता हूं. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मैं रवींद्रनाथ टैगोर को भारत का सर्वश्रेष्ठ चित्रकार मानता हूं और उसके बाद अमृता शेरगिल को. रवेल सिंह ने उनकी कविताओं को पंजाब का गहना बताते हुए कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि हम एक ऐसे कवि से रूबरू हुए हैं जो शब्द और दृश्य दोनों से ऐसी चुप्पी को चुनता है जो सबसे ज्यादा वाचाल होती है. कार्यक्रम में वनीता, कुलबीर गोजरा, सौमित्र मोहन सहित पंजाबी और हिंदी के कई अन्य लेखक तथा चित्रकार उपस्थित थे.