नई दिल्ली: “वृक्ष के फल की, उसके सामर्थ्य की पहचान उसके बीज से होती है. रामकृष्ण मठ ऐसा वृक्ष है, जिसके बीज में स्वामी विवेकानंद जैसे महान तपस्वी की अनंत ऊर्जा समाहित है. यही कारण है कि यह निरंतर विस्तार कर रहा है और मानवता पर इसकी छाया अनंत और असीमित है.” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से गुजरात के रामकृष्ण मठ में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही. प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि रामकृष्ण मठ के मूल में निहित विचार को समझने के लिए स्वामी विवेकानंद को समझना होगा और उनके विचारों को जीना होगा. उन्होंने कहा कि जब उन्होंने उन विचारों को जीना सीखा तो उन्हें स्वयं मार्गदर्शक प्रकाश का अनुभव हुआ. प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि मठ के संत इस बात से अवगत थे कि किस तरह रामकृष्ण मिशन और उसके संतों ने स्वामी विवेकानंद के विचारों के साथ मिलकर उनके जीवन को दिशा दी. मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि संतों के आशीर्वाद से उन्होंने मिशन से जुड़े कई कार्यों में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है. प्रधानमंत्री ने कहा कि महान विभूतियों की ऊर्जा कई सदियों तक संसार में सकारात्मक कार्यों के निर्माण और सृजन में लगी रहती है. उन्होंने कहा कि स्वामी प्रेमानंद महाराज की जयंती पर लेखंबा में नवनिर्मित प्रार्थना सभा गृह और साधु निवास का निर्माण भारत की संत परंपरा को पोषित करेगा. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सेवा और शिक्षा की एक यात्रा शुरू हो रही है, जिसका लाभ आने वाली कई पीढ़ियों को मिलेगा. उन्होंने कहा कि श्री रामकृष्ण देव मंदिर, गरीब छात्रों के लिए छात्रावास, व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र, अस्पताल और यात्री निवास जैसे कार्य आध्यात्मिकता के प्रसार और मानवता की सेवा का माध्यम बनेंगे.
स्वामी विवेकानंद के गुजरात के साथ आध्यात्मिक सम्बंधों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात ने उनकी जीवन यात्रा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने गुजरात में कई स्थानों का दौरा किया था और गुजरात में ही स्वामी जी को पहली बार शिकागो विश्व धर्म सम्मेलन के बारे में पता चला था. उन्होंने गुजरात में ही कई शास्त्रों का गहन अध्ययन किया और वेदांत के प्रचार-प्रसार के लिए खुद को तैयार किया. मोदी ने कहा कि 1891 में स्वामी जी पोरबंदर के भोजेश्वर भवन में कई महीनों तक रुके थे और तत्कालीन गुजरात सरकार ने इस भवन को रामकृष्ण मिशन को एक स्मारक मंदिर बनाने के लिए दे दिया था. प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी बताया कि गुजरात सरकार ने 2012 से 2014 तक स्वामी विवेकानंद की 150वीं जयंती मनाई और समापन समारोह गांधीनगर के महात्मा मंदिर में बड़े उत्साह के साथ मनाया गया, जिसमें देश-विदेश से हजारों शिष्यों ने भाग लिया. प्रधानमंत्री मोदी ने संतोष व्यक्त किया कि गुजरात सरकार अब स्वामी जी के गुजरात के साथ सम्बंधों की याद में स्वामी विवेकानंद टूरिस्ट सर्किट के निर्माण की रूपरेखा तैयार कर रही है. प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि स्वामी विवेकानंद आधुनिक विज्ञान के बहुत बड़े समर्थक थे. उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद का मानना था कि विज्ञान का महत्त्व केवल चीजों या घटनाओं के वर्णन तक सीमित नहीं है, बल्कि विज्ञान का महत्त्व हमें प्रेरित करने और आगे बढ़ाने में है. प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानंद भारत को एक सशक्त और आत्मनिर्भर देश के रूप में देखना चाहते थे.