नई दिल्ली: साहित्य अकादेमी द्वारा पंजाबी के प्रख्यात कवि सुरजीत पातर की स्मृति में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन आभासी मंच पर किया गया. सर्वप्रथम साहित्य अकादेमी के सचिव के श्रीनिवासराव ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि सुरजीत पातर आधुनिक भारत के सर्वश्रेष्ठ कवियों में से एक थे. वह केवल अच्छे कवि ही नहीं बल्कि एक श्रेष्ठ अनुवादक भी थे. बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी सुरजीत पातर के ज्ञान से आने वाली पीढ़ियां भी आलोकित होती रहेंगी. साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि उनके निधन से भारतीय साहित्य की अपूरणीय क्षति हुई है. वह अपने आप में संपूर्ण साहित्यकार थे और हम उन्हें पंजाब के सच्चे प्रवक्ता के रूप में भी याद कर सकते हैं. पंजाब के विगत 50 साल की संवेदना उनकी कविताओं में महसूस की जा सकती है. उन्हें पंजाबी का नहीं बल्कि भारतीय कवि कहना उचित होगा. उनकी कविताओं में जीवन के सूत्र थे. वनिता ने कहा कि उन्हें सारी भाषाओं से प्यार था. उनके शब्दों की सादगी में अनंत गहराई थी. वह मानवता के सच्चे पैरोकार थे.
साहित्य अकादेमी के पंजाबी परामर्श मंडल के संयोजक रवेल सिंह ने कहा कि आज इस श्रद्धांजलि सभा में आस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका और इंग्लैंड से साहित्यकारों का जुड़ना सिद्ध करता है कि वह केवल पंजाब के ही नहीं बल्कि संपूर्ण भारत और दुनिया के कवि थे. उनका लिखा हम सबके दिलों में हमेशा जिंदा रहेगा. आस्ट्रेलिया से जुड़े अमरजीत टंडा ने कहा कि उन्होंने अपनी कविताओं से सार्वभौमिक संदेश दिए जो उन्हें पूरी दुनिया का कवि सिद्ध करता है. अमेरिका के बलदेव सिंह ग्रेवाल ने कहा कि सुरजीत पातर अपनी कविताओं से पूरे ब्रह्मांड में प्यार भरना चाहते थे. अमरजीत सिंह ग्रेवाल ने कहा कि वह केवल एक कवि नहीं थे बल्कि एक दार्शनिक और चिंतक थे. उनकी कविता का दायरा इतना व्यापक था कि उसका छोर पकड़ पाना असंभव था. वह एक तरह से दार्शनिक शायर थे. खालिद हुसैन ने कहा कि उन्हें सूफी या फकीर कहना ज्यादा बेहतर होगा. उनकी कविता में पांच दरियाओं की लहरों का वजूद दिखता था. इंग्लैंड से जुड़ी अमर ज्योति सिंह ने कहा कि उनके जाने से पंजाबी भाषा के शब्द उदास हो गए हैं. उनके शब्दों में पंजाब का दर्द था. वह केवल पंजाब के नहीं बल्कि पूरी दुनिया के शायर थे. कनाडा से सुरिंदर धंजल भी सभा में उपस्थित थे.