प्रयागराज: पंडित सुमित्रानंदन पंत की जयंती पर देश भर में कई कार्यक्रम हुए. इस अवसर पर साहित्य और शिक्षा जगत के साथ ही राजनेताओं ने भी उन्हें याद किया. प्रयागराज सर्जन पीठ की ओर से सारस्वत सदन अलोपीबाग में आनलाइन राष्ट्रीय बौद्धिक परिसंवाद हुआ. इस मौके पर डा पद्माकर मिश्र ने कहा कि वीणा, ग्रंथि पंत की प्रारंभिक कृति है, जिसमें प्रकृति के प्रति प्रेम भावना का आकर्षण है. पंत प्रकृति को नारी के रूप में देखते हैं. विशिष्ट अतिथि जैन शोध अकादमी अलीगढ़ की डा कनुप्रिया प्रचण्डिया ने कहा कि पंत के काव्य-वैभव का स्वर प्रकृति के विशाल प्रांगण से शुरू होता है, जो लोक कल्याण के पथानुगामी साम्यवाद को स्वीकार करता हुआ मानवात्मा और सांस्कृतिक उत्थान के लिए अध्यात्म में विश्राम लेता है. परिसंवाद के संयोजक आचार्य पं पृथ्वीनाथ पांडेय ने कहा कि आज ग्राम्या जीवंत लक्षित होती है. इसके माध्यम से पंतजी कहते हैं कि यह भावी संस्कृति श्रमजीवी संस्कृति होगी, इसीलिए कवि श्रम की महिमा का गीत गाता है. गोरखपुर विश्वविद्यालय के सहायक आचार्य डा सूर्यकांत त्रिपाठी ने कहा कि पंत अपनी काव्य सर्जना के माध्यम से आज भी हम सब के बीच विद्यमान हैं. आगरा की डा मधु त्रिवेदी ने कहा कि पंत गोस्वामी तुलसीदास की तरह समन्वयवादी कवि हैं. दिल्ली से प्रभात ओझा ने कहा कि पंत का गौर वर्ण और कन्धों तक झूलते बालों के बीच जब भी उनकी वाणी प्रस्फुटित हुई तो कुछ अलग एहसास करा गई.
उधर बेतालघाट के राजकीय प्राथमिक विद्यालय अमेल में सुमित्रानंदन पंत की जयंती पर कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. जिसका उद्घाटन प्रधानाध्यापक सिद्धार्थ बधानी व शेखर फुलारा ने किया. कविता पाठ करते हुए हास्य कवि राजकुमार भंडारी ने नशा जागरूकता और अन्य विषयों पर कविता सुनायी. इस अवसर पर चित्रकला प्रतियोगिता भी हुई. जिसमें सौम्या ने पहला, गर्वित बुधौड़ी दूसरे और कौशल रावत ने तीसरा स्थान पाया. इससे पूर्व राजपाल सिंह, शेखर फुलारा, दिनेश रावत ने पंतजी के जीवन पर प्रकाश डाला. प्रधानाध्यापक सिद्धार्थ बधानी, हरीश पंत आदि ने विजेता छात्र-छात्राओं पुरस्कृत किया. इस अवसर पर भगवती अधिकारी, ललिता दरमाल, दीपा, बीना, खष्टी देवी उपस्थित रहीं. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भी सोशल मीडिया एक्स पर अपने संदेश में लिखा कि हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध रचनाकार, छायावादी युग के महान कवि सुमित्रानंदन पंत जी की जयंती पर शत्-शत् नमन. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डा मोहन यादव ने अपने संदेश में लिखा कि हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक सुप्रसिद्ध साहित्यकार, कवि और पद्मभूषण से सम्मानित सुमित्रानंदन पंत जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन करता हूं. आज भी उनकी रचनाएं हम सभी के लिए प्रेरणा व साहित्य के ज्ञान का स्रोत हैं.