मुंबई: “कथाकार के पास अपनी पीड़ाअपना अनुभव होता है जिसे वह अपनी रचनात्मकता से पाठकों तक पहुंचाता है. आज जरूरत इस बात की है कि कथाकार अपने भीतर की ताकत को पहचाने.” यह बात प्रख्यात कवि और संपादक विश्वनाथ सचदेव ने आठवें दशक की महत्वपूर्ण कथाकार स्मृति शेष सुधा वर्मा के बोधि प्रकाशन से प्रकाशित कहानी संग्रह ‘उड़ान अभी बाकी है‘ के लोकार्पण व विमर्श समारोह में कही. वह इस समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे. मुख्य वक्ता कथाकारपत्रकार हरीश पाठक ने कहा कि सुधा वर्मा मेरी समकालीन कथाकार थीं और ‘मुम्बई 1′ जैसे कई संग्रहों में हम साथ-साथ छपे. सुधा वर्मा कल्पना से नहींजीवन से चुनती थीं कहानियां. स्त्री और मध्य वर्ग उनकी कहानियों का मूलाधार था. स्त्री की अस्मिताउसका संघर्ष और उसकी जीत की वे प्रबल पक्षधर थीं. उन्होंने ‘हक‘, ‘पत्थर भी पिघलते हैं‘ और ‘रेगिस्तान में फैली धूप‘ जैसी कहानियों की विस्तार से चर्चा की.

इस अवसर पर उपस्थित फिल्मकार अविनाश दास ने सुधा वर्मा की कहानियों में उभरे मानवीय पक्ष के साथ उनकी विशिष्ट कहानी ‘मुठ्ठी भर रेत‘ की विस्तार से चर्चा की. अभिनेत्री असीमा भट्ट ने कहानी ‘कायर‘ का पाठ किया. कार्यक्रम में विषय प्रस्तावना वरिष्ठ पत्रकार शत्रुघ्न प्रसाद ने रखा. रितिका जौहरी की सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का आरंभ हुआ. देवमणि पांडेय ने संचालन कियातो अनुमेहा वर्मा ने आभार व्यक्त किया. लोकार्पण और विमर्श कार्यक्रम के पश्चात इसी मंच पर दूसरे सत्र में भारतेंदु हरिश्चंद्र स्मृति काव्य संध्या का आयोजन हुआजिसमें वरिष्ठ कवयित्री कमलेश पाठकदेवमणि पांडेयअर्चना जौहरीव्योमा मिश्रा व राजेश ऋतुपर्ण ने काव्य पाठ किया. इस अवसर पर डा नीलिमा पांडेयअवनींद्र आशुतोषपवन सक्सेनाजैन कमलगोपीकृष्ण बूबनातेजेश अखौरीचित्रांग वर्मामनीष अजवानी सहित कलासंस्कृतिफिल्म जगत से जुड़े कई लोग उपस्थित थे.