पुडुचेरी: शिक्षा मंत्रालय ने नई शिक्षा नीति, जी-20 नेताओं की घोषणा, श्री अरबिंदो की 150वीं जयंती तथा एक भारत श्रेष्ठ भारत के अंतर्गत आने वाले विषयों के लिए शैक्षिक-सह-सांस्कृतिक भ्रमण की प्रासंगिकता के अंतर्गत अरबिंदो सर्किट प्रारंभ किया है. इस पहल के तहत प्रतिभागी विद्यार्थियों ने ओरोविल में शरीर और चित्‍त में शांति पर जोर देते हुए सीखने का क्रम जारी रखा. उन्होंने दिन की शुरुआत श्री अरबिंदो गायत्री मंत्र के शांतिपूर्ण जाप के साथ की तथा आंतरिक यात्रा पर जाना और शांति प्राप्‍त करना सीखा. उन्होंने मन की प्रकृति के बारे में भी सीखा और यह भी जाना कि कोई व्यक्ति किस प्रकार सौम्य, प्रेमपूर्ण ध्यान, बाहरी दुनिया में संलग्न रहते हुए भी अंतर्मन का पोषण करके पहले शरीर में और फिर चित्‍त में शांति ला सकता है. छात्रों ने प्रकृति और अनुकूलित संचार के बीच अंतर करने के बारे में सीखा और चित्‍त के अनुकूल रहने और उससे द्वंद्व नहीं करने की व्यावहारिक युक्तियों को जाना. विद्यार्थियों ने मातृमंदिर का दौरा कर ओरोविल और समग्र मानवता के लिए इसके महत्त्व को जाना. मौजूदा विकल्पों और संभावनाओं के बारे में जागरूकता और समझ बढ़ रही है तथा इन्‍हें खुले चित्‍त और दिल से अपनाने की जरूरत है.

बाद में विद्यार्थियों ने पुडुचेरी की उपराज्यपाल डा तमिलिसाई सुंदरराजन के साथ बातचीत की. वह ओरोविल फाउंडेशन के गवर्निंग बोर्ड की सदस्य भी हैं. उन्होंने अपनी जीवन यात्रा के माध्‍यम से विद्यार्थियों को अनेक भूमिकाएं निभाने वाला व्यक्ति बनने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने विद्यार्थियों को नेता बनने, स्टार बनने, अजेय बनने और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए उत्कृष्टता हासिल करने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हर किसी में अपने सपनों को साकार करने की क्षमता होती है. उन्‍होंने कहा कि दिलेर और साहसी बनना, डटकर खड़े रहना और चुनौतियों का सामना करना तथा कड़ी मेहनत करना ही सफलता की कुंजी है. इस अवसर पर ओरोविल फाउंडेशन की सचिव डा जयंती एस रवि भी उपस्थित थीं. बाद में विद्यार्थियों को प्रोस्पेरिटी माडल से भी अवगत कराया गया. विद्यार्थियों को सोलर किचन- सबसे बड़ी सामुदायिक रसोई जैसी अन्य पहलों के बारे में बताया गया. दिन के अंत में विद्यार्थियों ध्वनियों के कंपन का अनुभव ‘ध्वनि स्नान’ से किया. उन्होंने जाना कि कैसे शांति में विश्राम और आराम करने से काम की गुणवत्ता बेहतर हो सकती है और उसका प्रभाव संचार पर पड़ सकता है. इस कार्यक्रम की शुरुआत केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास तथा उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के सुझाव के बाद की गई. शिक्षा मंत्रालय का स्वायत्त संगठन ओरोविल फाउंडेशन यह कार्यक्रम आयोजित कर रहा है.