नई दिल्ली: उर्वरक क्षेत्र की प्रमुख संस्था इफको द्वारा वर्ष 2023 का ‘श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान‘ कथाकार मधु कांकरिया को दिया गया. स्थानीय एनसीयूआई सभागार में आयोजित एक समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार डा विश्वनाथ त्रिपाठी एवं मृदुला गर्ग ने कांकरिया को यह सम्मान प्रदान किया. इफको के प्रबंध निदेशक डा उदय शंकर अवस्थी ने सम्मान विजेता को बधाई देते हुए कहा कि मधु कांकरिया गहरे सामाजिक सरोकारों की रचनाकार हैं. उन्होंने वेश्या जीवन से लेकर युवाओं में बढ़ रही नशाखोरी तक के व्यापक और चिंतनीय विषयों पर कुशलता के साथ अपनी लेखनी चलाई है. डा अवस्थी ने कांकरिया की रचनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि अपने कथा संसार में उन्होंने समय के क्रूर यथार्थ को पकड़ने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि इफको 35,000 सहकारी समितियों से बनी एक संस्था है जो सदैव किसानों के हित के लिए कार्यरत है. यह केवल किसान ही नहीं बल्कि भूमि और वातावरण का भी चिंतन करती है. रासायनिक खाद के नकारात्मक परिणामों के बारे में आभास कराने के साथ साथ उन्होंने नैनो उर्वरकों के विशेषताओं के बारे में भी बताया. अवस्थी ने बताया कि श्रीलाल शुक्ल साहित्य सम्मान विशेष तौर से वह उन लोगों को सम्मानित करने के लिए दिया जाता है जो किसानों, देहात और भूमि को अपने साहित्य में सम्मिलित करते हैं और उनका उल्लेख करते हैं. उन्होंने कहा कि देश में साहित्य को जीवित रखने के लिए हर परिवार को प्रतिवर्ष कम से कम एक पुस्तक खरीदने का प्रण करना चाहिए. इससे न केवल साहित्यकारों को लाभ होगा बल्कि पुस्तक इनसे हमारे जीवन में सकारात्मकता भी आएगी. कांकरिया पुरस्कार ग्रहण करते हुए इफको और प्रबंध निदेशक डा उदय शंकर अवस्थी का धन्यवाद दिया और कहा कि साहित्य विरोधी युग में साहित्य को जीवित रखने में इफको की विशेष भूमिका है जो अगली आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी. सम्मान चयन समिति के अध्यक्ष प्रो असगर वजाहत ने चयन प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी. समिति सदस्य प्रियदर्शन ने प्रशस्ति पाठ किया और कांकरिया की रचनाधर्मिता पर प्रकाश डाला.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि साहित्यकार डा विश्वनाथ त्रिपाठी ने कांकरिया को सम्मानित करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उनके लेखन को अत्यंत महत्त्वपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि शोधपरक लेखन के जरिए समाज के यथार्थ को मुखरित करने का जो काम मधु कांकरिया ने किया है, वह अन्यत्र दुर्लभ है. इस अवसर पर दिल्ली की नाट्य मंडली ‘थर्ड बेल आर्ट एण्ड कल्चरल सोसायटी‘ के कलाकारों ने विजय श्रीवास्तव निर्देशित श्रीलाल शुक्ल की रचना पर आधारित नाटक ‘एक चोर की कहानी‘ का मंचन किया. इस अवसर पर खेती-किसानी एवं हास्य रस पर केंद्रित कवि सम्मेलन का आयोजन भी किया गया. याद रहे कि मूर्धन्य कथाशिल्पी श्रीलाल शुक्ल की स्मृति में वर्ष 2011 में शुरू किया गया यह सम्मान प्रति वर्ष किसी ऐसे रचनाकार को दिया जाता है, जिसकी रचनाओं में ग्रामीण और कृषि जीवन से जुड़ी समस्याओं, आकांक्षाओं और संघर्षों को मुखरित किया गया हो. इससे पहले यह सम्मान विद्यासागर नौटियाल, शेखर जोशी, संजीव, मिथिलेश्वर, अष्टभुजा शुक्ल, कमलाकान्त त्रिपाठी, रामदेव धुरंधर, रामधारी सिंह दिवाकर, महेश कटारे, रणेंद्र, शिवमूर्ति और जयनंदन को मिल चुका है. इस सम्मान के तहत एक प्रतीक चिह्न, प्रशस्ति पत्र तथा ग्यारह लाख रुपए की राशि का चेक दिया जाता है. इस वर्ष प्रो असगर वजाहत की अध्यक्षता वाली निर्णायक समिति ने मधु कांकरिया का चयन भारत के बदलते यथार्थ पर केंद्रित उनके व्यापक साहित्यिक अवदान ‘हाशिये का समाज‘ के लिए दिया गया है. निर्णायक मंडल में मुरली मनोहर प्रसाद सिंह, डा अनामिका, प्रियदर्शन, रवींद्र त्रिपाठी एवं उत्कर्ष शुक्ल शामिल थे. कवि सम्मेलन में अष्टभुजा शुक्ल, अनामिका अनु, इब्बार रब्बी, सरिता शर्मा, अनिल अग्रवंशी, सुरेश अवस्थी ने अपनी कविताओं से सबका मन मोह लिया. समारोह में किसान, शिक्षक, छात्र सहित बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी शरीक हुए.