गोवाः प्रसिद्ध फ़िल्मकार, साहित्यकार गीतकार गुलज़ार की उपस्थिति में ज्ञानपीठ पुरस्कार समारोह की पूर्व संध्या पर एक नई किताब का लोकार्पण मेरी साहित्यिक यात्रा में एक और नया पड़ाव है. मैं बेहद ख़ुश हूं.” ये विचार ज्ञानपीठ से सम्मानित कोंकणी लेखक दामोदर मावज़ो ने पुरस्कार सम्मान समारोह की पूर्व संध्या पर रमिता गुरव द्वारा हिंदी में अनूदित अपने नए कथा संग्रह के लोकार्पण अवसर पर व्यक्त किए. अनुवादक रमिता गुरव ने कहा कि वरिष्ठ कोंकणी लेखक दामोदर मावज़ो को भारतीय साहित्य क्षेत्र के शीर्षस्थ पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जाना सभी कोंकणी भाषा एवं साहित्य प्रेमियों के लिए गौरव की बात है. पुरस्कार समारोह की पूर्व संध्या पर दामोदर मावज़ो की कोंकणी कहानियों के हिंदी अनुवाद से हिंदी साहित्य प्रेमियों को कोंकणी साहित्य से परिचित होने के साथ ही मानवीय मूल्यों का पुरज़ोर समर्थन करनेवाली गोवा की मिट्टी से जुड़ी कहानियों को पढ़ने का मौका मिलेगा.

प्रगतिशील विचार, अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता, सहिष्णुता तथा मानवीय मूल्यों के प्रखर समर्थक मावजो समकालीन कोंकणी साहित्य जगत के महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं. रचनात्मक लेखन के साथ ही गोवा की स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापना, कोंकणी भाषा तथा गोवा के पर्यावरण की रक्षा से सम्बन्धित आन्दोलनों में वे सक्रिय रहे हैं. याद रहे कि दामोदर मावज़ो का जन्म 1 अगस्त, 1944 को दक्षिण गोवा के माजोरड़ा गांव में हुआ. उन्होंने कहानी, उपन्यास, निबंध, आलोचना, पटकथा जैसी विविध विधाओं में लेखन किया है. उनकी कोंकणी में क़रीब 25 किताबें तथा अंग्रेजी में एक किताब प्रकाशित हुई है. कई किताबों का सम्पादन करने के साथ ही उन्होंने अनुवाद कार्य भी किया है. उनकी रचनाओं का हिंदी, अंग्रेज़ी, मराठी, कन्नड़, तमिल, तेलगु, मलयालम, गुजराती, पुर्तगाली, फ्रेंच आदि भाषाओं में अनुवाद हुआ है. आपको कार्मेलीन उपन्यास के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार मिल चुका है.