नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी के मंडी हाउस में नाट्य मंचन का मेला लगा है, जहां रंगमंच पर एक से बढ़कर एक प्रस्तुति हो रही. यहां 19वां महिंद्रा एक्सीलेंस इन थिएटर अवार्ड्स एवं फेस्टिवल चल रहा है, जिसमें देश के जानेमाने रंगकर्मियों द्वारा चयनित नाटकों की प्रतुति हो रही है. आज जिन दो नाटकों का मंचन हुआ, वे हैं श्री राम सेंटर में सुजन मुखोपाध्याय द्वारा निर्देशित और चेतना द्वारा निर्मित बंगाली नाटक ‘गोपाल उरे एंड कंपनी‘ और कमानी सभागार में गंधर्व दीवान द्वारा निर्देशित और द गैदरड द्वारा निर्मित ‘एवलांच‘. राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पूर्व छात्र गंधर्व दीवान अपनी शैली में कहानी कहने के लिए जाने जाते हैं. ‘एवलांच‘ की कहानी एक पहाड़ी गांव पर केन्द्रित है, जिस गांव के लोग हिमस्खलन के खतरे के तहत नौ महीने बिताते हैं. लोग प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ने के डर से, फुसफुसाते हुए संवाद करते हैं. यहां तक कि बच्चे का जन्म भी प्रकृति के चक्र के अनुसार निर्धारित होता है, और किसी भी विचलन पर कड़ी सजा दी जाती है.
‘एवलांच‘ की प्रस्तुति में लगभग चुप रहना व्यापक भलाई की आड़ में जनता को चुप कराने का प्रतीक है, जिसके परिणामस्वरूप अंततः उसी समुदाय को नष्ट कर दिया जाता है जिसकी वह रक्षा करना चाहता है. सुजन मुखोपाध्याय द्वारा निर्देशित और चेतना द्वारा निर्मित बंगाली नाटक ‘गोपाल उरे एंड कंपनी‘ भरतचंद्र राय द्वारा लिखित अन्नदामोंगल काब्यो के मध्य भाग ‘बिद्यासुंदर पलागन‘ पर आधारित है. ‘बिद्यासुंदर‘, बंगाली साहित्य में क्लासिक का स्थान ले चुकी बिद्या और सुंदर की प्रेम गाथा है, जिसे कामुक प्रेम के साथ-साथ देवी मां चंडी के लिए प्रार्थना का एक प्राचीन प्रसिद्ध पाठ माना जाता है. इस नाटक में नृत्य और गीत के साथ दोबारा बताई गई कहानी यह सशक्त संदेश देती है कि एक कलाकार और उसकी आत्मा को बेचा नहीं जा सकता. इस बार के जूरी सदस्यों में डाली ठाकोर, कुलभूषण खरबंदा, कुसुम हैदर, महेश दत्तानी, रघुवीर यादव, स्मृति राजगढ़िया और विनय पाठक शामिल हैं.