जयपुर:  स्थानीय जवाहर कला केंद्र में आयोजित दो दिवसीय स्पंदन कार्यक्रम में एक आकर्षक संवाद सत्र अमृता प्रीतम पर आधारित थाजिसमें साहित्यकारों ने विचार रखे. इस दौरान अमृता प्रीतम की कहानियों का वाचन भी किया गया. इस अवसर पर ‘अप्रतिम अमृता‘ नामक वार्ता सत्र में डा दुर्गा प्रसाद अग्रवालमनीषा कुलश्रेष्ठकृष्ण कल्पित और उषा दशोरा ने अमृता प्रीतम की रचनाओं और उनकी लेखन शैली पर प्रकाश डाला. डा दुर्गा प्रसाद अग्रवाल ने बताया कि महज 17 वर्ष की उम्र में अमृता प्रीतम की रचनाएं प्रकाशित होने लगी थीं. उनके 18 कविता संग्रह, 31 उपन्यास, 20 कहानी संग्रहविश्व की 34 भाषाओं में उनकी रचनाओं के अनुवाद हुए और उनके जीवन व कृतित्व पर चार फिल्में भी बनीं. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया जिस तरह से लोगों को स्वतंत्र रूप से विचार रखने का मौका देता हैऐसी ही सोच अमृता की रही वे अपनी शर्तों पर जीवन जीती थींवे दूरदर्शी लेखिका थीं.

उषा दशोरा का कहना था कि अमृता प्रीतम की रचनाएं मनोविज्ञानसमाज शास्त्रदर्शन शास्त्र तीनों के मापदंडों पर खरा उतरती हैं. उन्होंने अपनी रचनाओं में केवल पुरुष और महिला के नहीं बल्कि हर तरह के प्रेम का चित्रण किया. वहीं मनीषा कुलश्रेष्ठ ने कहा कि अमृता प्रीतम ने हर वर्ग के मर्म को अपनी रचनाओं में दर्शाया. कृष्ण कल्पित ने कहा कि आज हर कोई कालजयी साहित्यकार बनना चाहता है जबकि अमृता प्रीतम जैसे साहित्यकार ही ऐसे हैंजो सही मायनों में कालजयी कहलाने योग्य है. उन्होंने कहा कि बड़ा साहित्यकार बनने के लिए वैश्विक दृष्टि भी होनी चाहिए और अमृता की रचनाओं में ये देखने को मिलती है. कार्यक्रम के अंत में ज़फर खानउषा दशोरासर्वेश व्यासप्रियदर्शिनी मिश्रा ने अमृता प्रीतम की कहानियों का वाचन किया. उन्होंने ‘करमावाली‘ और ‘एक रुमालएक अंगूठीएक छलनी‘ कहानियों का थिएटर फार्म में वाचन कर कहानी को जीवंत किया.