इंदौर: “ललित निबंध व्यक्तिव्यंजक निबंध का एक हिस्सा हैं, विधा में पारंगत होने के लिए कला मर्मज्ञ होना आवश्यक है, ललित निबंध लेखक तथ्यों को दृष्टि सम्पन्नता से आगे ले जाता है, विचार देता है और लालित्य का सृजन करता है.” साहित्यकार नर्मदा प्रसाद उपाध्याय ने यह बात इंदौर प्रेस क्लब में वामा साहित्य मंच द्वारा लेखिका गरिमा संजय दुबे के ललित निबंध संग्रह ‘समर्पयामि‘ के लोकार्पण के दौरान कही. विधा आधारित वक्तव्य में उन्होंने गरिमा के निबंध ‘कांटों को मुरझाने का खौफ नहीं होता‘, ‘मादकता पर्सोनिफाईड‘ व ‘शरद और श्री राम‘ आधारित निबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि यह ललित निबंध संग्रह अवश्य पढ़ा जाना चाहिए. उपाध्याय ने कहा कि कटु यथार्थवादी लेखन के घने कोहरे में यह ललित निबंध संग्रह एक चमकीली विद्युत की तरह है. डॉ विकास दवे ने कहा कि लोक व भारतीय संस्कृति के मूल तत्वों को सहेजते हुए अपनी विलक्षण लेखन शैली व विषयों की विविधता से लेखिका चकित करती हैं. सामान्य वस्तुओं यहां तक कि ऐनक जैसी वस्तु पर दर्शन का विस्तार उन्हें कुशल लेखिका बनाता है. कठिन से कठिन विषय को शालीनता से निभाना भी उनकी सामर्थ्य को बताता है. प्रकाशक पंकज सुबीर ने कहा कि ललित निबंध शैली को अपना कर लेखिका ने खतरा उठाया है और जब तक लेखक खतरा नहीं उठाएंगे, तब तक समाज उन्नति नहीं करेगा. लेखिका के निबंध शत प्रतिशत ललित निबंध श्रेणी के हैं, यह निबंध नई पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक का कार्य करेंगे, यह तय है.
लेखिका ज्योति जैन ने कहा कि इन दिनों जब भाषा में लालित्य खो सा गया है, ऐसे समय में जब खिचड़ी भाषा और नई वाली हिंदी के नाम पर परोसी जाने वाली भाषा के साथ जैसा फटाफट साहित्य रचा जा रहा है, ओटीटी प्लेटफार्म पर भाषा गढ़ी जा रही है, ऐसे समय में ललित निबंध की रचना का स्वप्न देखना ही एक दुस्साहस है. सनसनी फैलाने वाले लोकप्रिय साहित्य की रचना में दौड़ में लगे समय में जब निर्वेद का सृजन करते साहित्य का स्वप्न देखना भी कठिन है, तब गरिमा न सिर्फ यह स्वप्न देखा बल्कि उसे पूरा भी किया. आत्मकथ्य में लेखिका गरिमा दुबे ने कहा कि जीवन केवल दुःख का आख्यान नहीं, सुख का आलेख भी है. अति यथार्थवादी लेखन के धूसर रंग पर मैंने लालित्य के लाल पीले हरे नीले रंग बिखेरने का प्रयास किया है. जीवन एकरंगी नहीं होता, केवल अवसाद नहीं, उत्सव भी है, वैसे ही ललित निबंध साहित्य व शब्दों का उत्सव रचते हैं, विज्ञान, अध्यात्म, प्रेम, आस्था, नारी विमर्श, ऋतुओं, पर आधारित निबंध इस संग्रह में शामिल हैं. परिवार का प्रतिनिधित्व डा दीपा मनीष व्यास ने किया. अतिथियों का स्वागत मदन लाल दुबे, डा संजय दुबे, मनीष व्यास, शीला दुबे ने किया. स्मृति चिह्न ओमप्रकाश दुबे, अशोक दुबे, डा विवेका दुबे, लता तिवारी, अथर्व दुबे, तनिष्का व्यास ने प्रदान किए. स्वागत भाषण वामा अध्यक्ष इंदु पाराशर ने दिया, संचालन प्रीति दुबे व सरस्वती वंदना संगीता परमार ने प्रस्तुत की. आभार सचिव शोभा प्रजापति ने माना. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में इंदौर शहर के प्रबुद्ध साहित्यकार व पत्रकार मौजूद थे.