लखनऊ: छात्र अपने साहित्य और साहित्यकारों को याद रख सकें इस दिशा में केंद्रीय विद्यालय गोमतीनगर लखनऊ ने एक अनोखा प्रयास किया है. विद्यालय ने छात्रों की पुस्तकों, कापियों पर चिपकाई जाने वाली स्लिप पर हिंदी कवियों-साहित्यकारों के चित्र को उकेरा है. केंद्रीय विद्यालय की ओर से जारी नामपट्टिका पर जिन हिंदी कवियों-साहित्यकारों के चित्र उकेरे गए हैं, उनमें तुलसीदास, सूरदास, मुंशी प्रेमचंद, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, मैथिली शरण गुप्त, महादेवी वर्मा, सुमित्रा नंदन पंत शामिल हैं. चित्र के ऊपर केंद्रीय विद्यालय फिर नीचे की तरफ क्रम से नाम, कक्षा, रोल नंबर, विषय, मोबाइल नंबर लिखा है. विद्यालय की शिक्षिका सुषमा सिंह के मुताबिक नई पीढ़ी को इन नायकों के बारे में बहुत कम जानकारी है. इन नायकों का ऐतिहासिक महत्त्व बच्चे जानें, इसलिए किताब प्रकाशन से विशेष आग्रह करके इस तरह की नाम-पर्ची को तैयार कराया गया है. विद्यालय के छात्र अपनी पुस्तकों पर इसे चिपका कर उस पर अपना नाम, कक्षा एवं विषय लिखेंगे.
सिंह का कहना है कि हिंदी साहित्य हमारा प्रेरणा स्रोत है. इसके पास जीवन की वास्तविकता को खोलकर दिखाने की क्षमता है. हिंदी साहित्य मन को शांति और शीतलता प्रदान करता है, जो जीवन की वास्तविकता से परिचय कराता है. साहित्य में हर रस का आनंद मिलता है. विद्यालय के उद्देश्यों में विद्यार्थियों के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास के लिए विभिन्न रचनात्मक गतिविधियां भी शामिल हैं. सरकार की भी सोच है कि बच्चों का सर्वांगीण विकास हो. इससे बच्चे रचनात्मक और सृजनात्मक होते हैं. कोई भी नई चीज आसानी से सीखने का बच्चों में कौशल होता है. सृजनात्मक शक्ति का विकास, संप्रेषण क्षमता एवं सहभागिता का विकास, समूह में पारस्परिक सीखने का विकास, शारीरिक विकास, दबाव मुक्त, आनंददायी सीखने का वातावरण, मूल्यों का विकास आदि उद्देश्य को लेकर स्कूल स्तर पर अवसर देकर बच्चों को होनहार बनाया जा सकेगा. उनके अनुसार साहित्यकारों की यह सूची बच्चों को न केवल किताबों के नजदीक लाएगी बल्कि इससे उनका रचनात्मक ज्ञान बढ़ेगा और अपनी भाषा के रचनाकारों को जानने का मौका मिलेगा. बच्चे साहित्यकारों के जीवन के प्रेरक प्रसंगों से प्रेरित होंगे. इससे बच्चों की रुझान हिंदी साहित्य की ओर बढ़ेगी. लेखकों की प्रेरणास्पद बातें जो उनकी कहानियों और कृतियों में हैं, उन्हें पढ़कर अभिभूत होंगे.