भिलाई: सामाजिक सहानुभूति साहित्य में प्रतिबिंबित होती है और साहित्य समाज का दर्पण है, इसलिए यह हमारे व्यवहार में भी दिखना चाहिए. संवेदना और सेवा की भावना की आज बड़ी आवश्यकता है. हम संयुक्त रूप से बड़े से बड़ा दायित्व निभा सकते हैं. यह बात साहित्य-संस्कृति मर्मज्ञ, आचार्य डा महेश चंद्र शर्मा ने स्थानीय आस्था वृद्धाश्रम में आयोजित एक कार्यक्रम में कही. डा शर्मा ने कहा कि वृद्ध और वृद्धाओं की सेवा, दिव्यांग एवं निर्धन की सेवा और सहयोग के अपने अर्थ हैं. इससे हम न केवल समाज के जरूरतमंद लोगों की मदद करते हैं बल्कि उनकी दुआएं भी हासिल करते हैं. आचार्य डा शर्मा ने इस अवसर पर सामूहिक विवाह को अपना सहयोग एवं आशीर्वाद भी दिया.
इस अवसर पर डा शर्मा के साथ उनकी पत्नी गौरी शर्मा भी थीं. इस दौरान शर्मा ने पचास जोड़ी वस्त्र एवं शाल आदि देकर वृद्धजनों को सम्मानित किया. इस सामूहिक आयोजन के दौरान दिव्यांग और निर्धन समुदाय के तीन सौ से अधिक वर-वधुओं को आशीर्वाद दिया गया. संस्कृत में शुभाशीष देते हुए आचार्य डा शर्मा ने इस अवसर पर भारत की गौरवमयी परंपरा और संस्कृति के बारे में भी विस्तार से अपनी बात कही. उन्होंने संस्कृत ग्रंथों को उद्धृत करते हुए आयोजक संस्था और को भी इस ऐतिहासिक और सफल आयोजन के लिए साधुवाद दिया.