शिमलाः ऐतिहासिक गेयटी थिएटर में लगा शिमला राष्ट्रीय पुस्तक मेला अपने शबाब पर है. 24 जून से शुरू हुआ यह पुस्तक मेला 2 जुलाई तक चलेगा. ओजस सेंटर फॉर आर्ट एंड रीडरशिप डेवलपमेंट ‘ओकार्ड’ और नगर निगम के सहयोग से आयोजित शिमला राष्ट्रीय पुस्तक मेला में देश के विभिन्न भागों के प्रकाशकों ने अपना स्टॉल लगाया है. इन प्रकाशकों में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत, भारतीय ज्ञानपीठ, राधाकृष्ण प्रकाशन, लोक भारती प्रकाशन, किताबघर प्रकाशन, राजपाल एंड संज, आधार प्रकाशन, सस्ता साहित्य मंडल, भारत सरकार का प्रकाशन विभाग, निखिल प्रकाशन, प्रतिबिंब प्रकाशन, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, भारतीय कला प्रकाशन, पदम बुक कंपनी, शिवांगी प्रकाशन, जीनियस हाइव पब्लिकेशन आदि शामिल हैं. लेकिन हैरानी की बात है कि इस कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश भाषा विभाग और हिमाचल प्रदेश भाषा अकादमी का कोई स्टॉल नहीं है. ओकार्ड इंडिया के संयोजक सचिन चौधरी के अनुसार पुस्तक संस्कृति के प्रचार व प्रसार के लिए प्रतिबद्ध यह संस्था देश के कई हिस्सों में पुस्तक मेले और साहित्यिक आयोजन करती आई है.
इस मेले का शुभारंभ मुख्यमंत्री को करना था, लेकिन वे नगर में उपलब्ध नहीं थे, इसलिए नगर निगम के महापौर सुरेंद्र चौहान ने इसका शुभारंभ किया. चौधरी ने बताया कि ओकार्ड का मूल उद्देश्य पाठकों विशेषकर को साहित्य की ओर प्रवृत्त करना है. वाकई शिमला क्षेत्र के स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय के अध्यापक, प्राध्यापक और छात्र इस राष्ट्रीय पुस्तक मेले का भरपूर आनंद ले रहे हैं. पुस्तकों की खरीद भी हो रही है. पुस्तक मेले में पुस्तक खरीद पर पाठकों को 10 प्रतिशत छूट भी दी जा रही है. पुस्तक मेले शब्दवेद ग्रंथ पुस्तक प्रेमियों के आकर्षण का केंद्र है. साढ़े आठ किलो वजन, चार हजार पन्ने वाले इस ग्रंथ में इसमें चारों वेदों की ग्यारह संहिताओं का संकलन है. इसके अलावा पुस्तक मेले में कई साहित्यिक आयोजन भी हो रहे हैं. जिनमें साहित्यकारों का सम्मान, कवि गोष्ठी और जेएनयू के विद्वानों के साथ इतिहास लेखन पर संगोष्ठी आदि शामिल है. इनके अलावा प्रकाशक भी अपने-अपने स्टॉल पर लेखकों की पुस्तकों पर कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं.