बलौदाबाजार: क्षेत्र के जाने माने साहित्यकार कौशिक मुनि त्रिपाठी को नेपाल में आयोजित विश्व प्रतिभा अंतरराष्ट्रीय सम्मान 2025 समारोह में सम्मानित किया गया. शब्द प्रतिभा बहुक्षेत्रीय सम्मान फाउंडेशन ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया था. त्रिपाठी को उनके साहित्यिक कार्यों के लिए यह सम्मान मिला. नेपाल की राजधानी काठमांडू में हुए इस आयोजन में नेपाल, भारत, अमेरिका, तंजानिया और अन्य देशों के विशिष्ट व्यक्तित्वों को सम्मानित किया गया. इस समारोह का उद्देश्य नेपाल भारत मैत्री संबंधों को और मजबूत करना, देवनागरी लिपि का संरक्षण करना और नेपाली तथा हिंदी भाषाओं को दोनों देशों के बीच मित्रता की भाषा के रूप में स्थापित करना था. यह आयोजन साहित्यिक एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया था. विश्व प्रतिभा अंतरराष्ट्रीय सम्मान समारोह में कुल 5000 आवेदकों में से 100 व्यक्तियों को उनके अद्वितीय योगदान के लिए चुना गया था. इस चयन प्रक्रिया में न केवल साहित्यकारों, बल्कि विज्ञान, कला, संगीत, शिक्षा, समाजसेवा और अन्य विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को भी सम्मानित किया गया. भारत, नेपाल, अमेरिका, तंजानिया, रूस, मलेशिया, श्रीलंका सहित कई अन्य देशों से चयनित व्यक्तित्व इस मंच पर सम्मानित हुए. समारोह के अंतिम सत्र में आयोजित सम्मेलन में साहित्यकारों ने कविता, गीत और निबंध के माध्यम से अपने विचार व्यक्त किए..

साहित्यकार त्रिपाठी की रचनाओं में समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया गया है, जिसमें मानवाधिकार, समानता और शांति के मुद्दे प्रमुख हैं. उनकी काव्य रचनाओं और लेखनी ने उन्हें एक सशक्त साहित्यकार के रूप में स्थापित किया है. त्रिपाठी ने कहा, “यह सम्मान मेरे लिए एक व्यक्तिगत उपलब्धि से कहीं अधिक है. यह मेरे पाठकों और साहित्य प्रेमियों का समर्थन है, जिन्होंने मेरी रचनाओं को सराहा और उन्हें अपना प्रेम और आशीर्वाद दिया. इस सम्मान को मैं उन सभी लेखकों और साहित्यकारों को समर्पित करता हूं, जिन्होंने साहित्य की दुनिया में अपने विचारों से परिवर्तन लाने का प्रयास किया.” इस सम्मान के बाद जिला शिक्षा अधिकारी हिमांशु भारतीय ने भी त्रिपाठी को सम्मानित किया गया. समारोह का संचालन आचार्य खेमचंद यदुवंशी शास्त्री ने किया. समारोह में सैकड़ों लोग उपस्थित थे, जिसमें साहित्यकार, लेखक, कलाकार और कई प्रमुख समाजसेवी शामिल थे. सभी उपस्थित लोगों ने इस आयोजन को सांस्कृतिक आदान-प्रदान और साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए एक महत्त्वपूर्ण कदम बताया.