श्रीगंगानगर: साहित्य अकादमी और सृजन सेवा संस्थान की ओर से शहर के चौधरी बल्लूराम गोदारा गवर्नमेंट गर्ल्स कॉलेज में हुई ‘समकालीन राजस्थानी साहित्य संगोष्ठी‘ में वक्ताओं ने कहा कि राजस्थानी साहित्य समाज और युवाओं को सीख देने में सक्षम है. पहले दिन समकालीन राजस्थानी कवितासमकालीन राजस्थानी कहानी और समकालीन राजस्थानी उपन्यास पर चर्चा हुई. समकालीन राजस्थानी कविता से संबंधित पहले सत्र में अध्यक्षता अंबिकादत्त ने की. दूसरे सत्र की अध्यक्षता चेतन स्वामी ने की. इसमें समकालीन राजस्थानी कहानी पर विचार-विमर्श हुआ. सत्यनारायण सोनी और संजय पुरोहित ने पत्रवाचन किया. समकालीन राजस्थानी उपन्यास से जुड़े तीसरे सत्र में वक्ताओं ने कहा कि पिछले कुछ समय में हालात तेजी से बदले हैं. इस दौर में कोराना आया. विश्व की राजनीति पर असर पड़ा. दुनिया के देशों के बीच तनाव हुआ. इन सब में लोगों के पहनावेरहन-सहन पर असर डाला. राजस्थानी उपन्यास पर भी इसका असर आना स्वाभाविक था. ऐसे में कई नए राजस्थानी साहित्यकार सामने आए.  इनकी रचनाओं को भी लोगों ने खूब पसंद किया. इस सत्र की अध्यक्षता डा भरत ओला ने की. नगेंद्र किराडू और दिनेश पांचाल ने पत्रवाचन किया. एक सत्र में गजे सिंह राजपुरोहित और आशीष पुरोहित ने पत्र वाचन किया.

समकालीन राजस्थानी नाटकनिबंध और आलोचना‘ के सत्र में चौधरी बल्लूराम गोदारा गवर्नमेंट गर्ल्स कॉलेज के हिंदी के सहायक प्राध्यापक आशाराम भार्गवहरीश बी शर्मासृजन सेवा संस्थान के डा कृष्ण कुमार आशु ने पत्र वाचन किया. इस सत्र की अध्यक्षता करते हुए हिंदी के सेवानिवृत्त डा पीसी आचार्य ने कहा कि मायड़ भाषा हमें विरासत से जोड़ती है. उन्होंने कहा कि मातृभाषा का सम्मान हमारा कर्तव्य है. मातृभाषा का सम्मान बढ़ेगा तो राजस्थान की पहचान बनेगी. ‘नाटकनिबंध और आलोचना‘ के सत्र में प्रस्तुत पत्रवाचन में लेखकों का गहन अध्ययन और मेहनत नजर स्पष्ट दिखा. दूसरे सत्र में राजेंद्र दान देथाडा नवज्योत भनोत और किरण बादल ने पत्र वाचन किए. अध्यक्षता करते हुए पाली के मीठेश निर्मोही ने कहा कि लेखकों ने खूब मेहनत के साथ पत्र वाचन किए हैं. समापन सत्र के मुख्य अतिथि साहित्य अकादमी के राजस्थानी परामर्श मंडल के पूर्व संयोजक मधु आचार्य ‘आशावादी‘ थे. अध्यक्षता साहित्य अकादमी के राजस्थानी परामर्श मंडल के संयोजक अर्जुनदेव चारण ने की. चौधरी बल्लूराम गोदारा गवर्नमेंट गर्ल्स पीजी कॉलेज की प्राचार्य डा आशा शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया.