नई दिल्लीः बैशाख बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर पूरे देश में विविध आयोजन हुए. संस्कृति मंत्रालय की अगुआई में विभिन्न स्वायत्त बौद्ध संगठनों और अनुदान प्राप्त संस्थानों ने इस अवसर पर देश भर में लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक कई कार्यक्रमों का आयोजन किया. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुद्ध पूर्णिमा की बधाई देते हुए एक ट्वीट संदेश में कहा; “बुद्ध पूर्णिमा की बधाई. भगवान बुद्ध के आदर्श हमारे जीवन को आलोकित करते रहें और हम सभी को शक्ति प्रदान करते रहें.” केंद्रीय बौद्ध अध्ययन संस्थान, लेह के सभी कर्मचारियों और 600 छात्रों ने लेह के पोलो ग्राउंड में लद्दाख बौद्ध एसोसिएशन और लद्दाख गोन्पा एसोसिएशन द्वारा आयोजित भव्य समारोह में भाग लिया. इस अवसर पर सीआईबीएस, लेह के छात्रों द्वारा मंगलाचरण किया गया. इस अवसर पर सीआईबीएस लेह, केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख के छात्रों द्वारा तैयार की गयीं बुद्ध के पहले उपदेश और वितरण को दर्शाने वाली दो झांकियों का प्रदर्शन किया गया था.

उधर वाराणसी में केंद्रीय उच्च तिब्बती अध्ययन संस्थान, सारनाथ द्वारा सुबह छह बजे बुद्ध जयंती समारोह मनाया गया. इसके बाद शोध पत्रिका ‘धिह’ के 63वें संस्करण का विमोचन हुआ. नव नालंदा महाविहार में भिक्षु-छात्रों द्वारा बुद्ध मंदिर में पारंपरिक पूजा की गई, इसके बाद ‘बौद्ध धर्म और बिहार’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन कल्चर स्टडीज, दाहुंग, अरुणाचल प्रदेश ने इस अवसर पर पूजा समारोह और अन्य अनुष्ठानों के प्रदर्शन के साथ-साथ एक वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया. इस अवसर पर जेंटसे गादेन रबग्याल लिंग (जीआरएल) मठ, अरुणाचल प्रदेश ने अपने भिक्षु छात्रों के माध्यम से विश्व शांति प्रार्थना और ‘मंगलचरण’ का आयोजन किया. बुद्ध जयंती मनाने के लिए तिब्बत हाउस में आकांक्षी बोधिसत्व संस्कार का आयोजन किया गया. तवांग मठ, अरुणाचल प्रदेश ने ‘बुद्ध के उपदेश, शांति और शांति’ विषय पर भाषण-सह-व्याख्यान प्रतियोगिता किया. लाइब्रेरी ऑफ़ तिब्बतन वर्क्स एंड आर्काइव्स धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश, इस ने एक मई से पांच मई ‘पशु चेतना सम्मेलन’ का आयोजन किया. वैशाख बुद्ध पूर्णिमा पूरे विश्व में बौद्ध अनुयायियों के लिए वर्ष का सबसे पवित्र दिन है क्योंकि यह भगवान बुद्ध के जीवन की तीन मुख्य घटनाओं- जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण का प्रतीक है. भारत में बौद्ध धर्म की उत्पत्ति के बाद से यह दिन विशेष महत्व रखता है. 1999 से इसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा ‘यूएन डे ऑफ वैशाख ‘ के रूप में भी मान्यता दी गई है.