नई दिल्लीः स्थानीय हिंदी भवन में सविता सिंह की पुस्तक ‘एक सूरज स्याह सा’ का लोकार्पण हुआ. यह पुस्तक ज्वलंत मुद्दों पर महिलाओं के दृष्टिकोण को साझा करने वाली 10 लघु कहानियों का संग्रह है. मध्यमवर्गीय जीवन के उतार-चढ़ाव, दुःख-दर्द, रिश्तों की पेचीदगियां, छोटी-बड़ी खुशियां और मानव जीवन के रोजमर्रा के संघर्ष उन भावनाओं में से हैं, जिनकी चर्चा इन कहानियों में है. समारोह के अतिथि भारतीय जनसंचार संस्थान के प्रोफेसर आनंद प्रधान ने कहा कि इन कहानियों को पढ़ते हुए कई बार मेरे रोंगटे खड़े हो गए, आंखें छलछला आईं. ये कहानियां हमें अतीत की तरफ ले जाती हैं, मगर उनमें एक आगे की भी दृष्टि है. कॉमन कॉज के निदेशक विपुल मुद्गल ने कहा कि कहानीकार जिस नज़रिये से स्त्री-पुरुष संबंधों को देखती हैं, उसमें न्याय है, गज़ब की स्वतंत्रता है, और गज़ब की बराबरी भी है. उन्होंने सवाल किया कि तो फिर बचा क्या? यही सब तो संविधान में भी है. शिक्षक एवं समीक्षक प्रभात रंजन ने कहा कि यह किताब एक छुपा हुआ खजाना थी जो अब हमारे हाथ लगा है. इसमें स्त्री विमर्श को देखने की एक नई दृष्टि है. हमें लेखिका की नई कहानियों का बेसब्री से इंतज़ार है.

लेखक प्रभाकर कुमार मिश्र ने कहा कि कहने के लिए ये लेखिका की पहली पुस्तक है लेकिन इसके पात्र हिंदी साहित्य के बेहतरीन पात्रों से कम नहीं दिखते. पढ़ते वक्त लगता है कि हम पात्रों के साथ उनकी जीवन यात्रा में शामिल हैं. शिक्षक-समीक्षक बिंदु ने कहा कि इन कहानियों में स्त्री चेतना का नया स्वर सुनाई दे रहा है. इसमें पारिवारिक, सामाजिक रिश्तों की कड़वाहट है, तो मर्म का एक सूत्र भी जो सभी को आपस में बांधे रहता है. इसके कथा सूत्रों में अभूतपूर्व संतुलन है. लेखक एवं आम आदमी पार्टी के विधायक दिलीप पांडे ने कहा कि अतीत के प्रासंगिक अनुभवों से निकली कहानियों का संकलन ‘एक सूरज स्याह सा’ न केवल स्त्री विमर्श का एक पठनीय दस्तावेज़ है बल्कि यह किताब एक महिला के अंतर्विरोधों और आधी आबादी के दिल और दुनिया के बीच के द्वंद्व से बाहर आने के साहस की एक डायरी भी है. इस मौके पर लेखिका सविता सिंह ने कहा कि वो पिछले चार-पांच दशकों से लिख रही हैं, लेकिन बात कभी प्रकाशन तक नहीं पहुंची. अब परिवार और दोस्तों के आग्रह पर उनकी कहानियां इस पुस्तक के रूप में सबके सामने हैं. कार्यक्रम में रूपम मल्लिक दत्ता, अमृता दास, रिम्मी शर्मा के अलावा साहित्य, पत्रकारिता, कला और शिक्षा जगत से जुड़े कई लोग उपस्थित थे.