जमशेदपुर: तुलसी भवन साहित्य समिति ने संस्थान के प्रयाग कक्ष में जीवंत बहुभाषी काव्य-गोष्ठी ‘लोक मंच‘ का आयोजन किया. इस अवसर पर संत कबीरदास और साहित्यकार देवकीनंदन खत्री की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी. संस्थान के अध्यक्ष सुभाष चंद्र मूनका की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती और इन विख्यात साहित्यकारों के चित्र पर दीप प्रज्वलन और पुष्प अर्पित कर की गई. सुरेश चंद्र झा और पूनम महानंद ने संत कबीरदास और देवकीनंदन खत्री के जीवन और कार्यों का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया. इस अवसर पर वक्ताओं ने इन साहित्यकारों के साहित्य और अध्यात्म के क्षेत्र में उनके योगदान पर भी प्रकाश डाला. कविता पाठ की शुरुआत ममता कर्ण द्वारा मैथिली में सरस्वती वंदना से हुई. इसे आने वाले समय में संस्थान द्वारा कराए जाने वाले साहित्यिक समारोह की रूपरेखा के रूप में देखा गया.
शहर के कुल 45 कवियों ने भोजपुरी, मैथिली, मगही, बज्जिका, अंग्रेजी, अंगिका, राजस्थानी, बंगाली और हिंदी सहित विभिन्न मातृभाषाओं में अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. इस अवसर पर जिन कवियों ने अपनी रचनाएं पढ़ीं, उनमें वसंत जमशेदपुरी, राजेंद्र शाह ‘राज‘, नीलांबर चौधरी, विश्वन शिल्पी, जयश्री शिवकुमार, हरिहर चौहान, नीता सागर चौधरी, विमल किशोर विमल और अशोक पाठक ‘स्नेही‘ शामिल थे. इस कार्यक्रम में वीणा पांडेय ‘भारती‘, बलविंदर सिंह, कैलाशनाथ शर्मा ‘गाजीपुरी‘, शेषनाथ ‘शरद‘, बबली मीरा, सुष्मिता सलिलात्माजा और डा संध्या सिन्हा सहित कई प्रमुख साहित्यकारों ने भाग लिया. तुलसी भवन के ट्रस्टी अरुण कुमार तिवारी और कार्यकारी सदस्य प्रसन्न बदन मेहता की उपस्थिति ने इस अवसर की महत्ता को और बढ़ा दिया. ‘लोक मंच‘ काव्य संगोष्ठी में न केवल संत कबीरदास और देवकीनंदन खत्री की विरासत का जश्न मनाया गया, बल्कि भारतीय भाषाओं और साहित्य की समृद्धि और विविधता को भी प्रदर्शित किया गया.