नई दिल्ली: रवींद्र भवन परिसर में साहित्य अकादेमी द्वारा आयोजित दस दिवसीय पुस्तक मेले का समापन हो गया. मेले में प्रतिदिन आयोजित होने वाले साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में 200 से अधिक लेखकों एवं कलाकारों ने भाग लिया. ये प्रतियोगिताएं जूनियर एवं सीनियर वर्गों में आयोजित की गईं जिनमें बच्चों को पुरस्कृत भी किया गया. मेले में 40 से अधिक प्रकाशक शामिल हुए. आयोजित किए गए कार्यक्रमों में बहुभाषी कहानी-पाठ, आदिवासी लेखक सम्मिलन, गीत संध्या, गजल संध्या, मुशायरा, लघुकथा पाठ, व्यंग्य पाठ एवं कई विषयों पर परिचर्चाएं आदि मुख्य थीं. सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सीसीआरटी छात्रवृत्ति प्राप्त कर रहे छात्र-छात्राओं ने गायन, वादन एवं नृत्य की प्रस्तुतियां दीं, जिन्हें दर्शकों की भरपूर सराहना मिली. मेले में शामिल हुए अन्य प्रकाशनों ने भी 25 से ज्यादा साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन किया, जिनमें मुख्यतः पुस्तक लोकार्पण एवं उन पर चर्चाएं शामिल थीं. आखिरी दिनों में बच्चों में पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रतिदिन प्रतियोगिताओं का आयोजन किए जाने की शृंखला भी जारी रही, जिसमें दर्जनों विद्यालयों के विद्यार्थियों ने भाग लिया. कहानी प्रतियोगिता के निर्णायक प्रख्यात बाल लेखक अनिल जायसवाल थे. सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत हिंदुस्तानी गायन ऋषिकेश मलिक द्वारा और कुचीपुड़ी नृत्य साहिती पेंडियाला द्वारा प्रस्तुत किया गया. पुस्तक चर्चा में अकादेमी की विशिष्ट प्रकाशन शृंखला के अंतर्गत अमरनाथ झा के चयनित निबंधों की प्रकाशित पुस्तक पर उदय नारायण सिंह, हरीश त्रिवेदी और ललित कुमार ने चर्चा की. हरीश त्रिवेदी ने कहा कि अमरनाथ झा इलाहाबाद विश्वविद्यालय के स्वर्णिम युग के आर्किटेक्ट और आइकान थे. उदयनारायण सिंह ने कहा कि अमरनाथ झा मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा के हिमायती थे, लेकिन साथ ही हिंदी और अंग्रेजी के ज्ञान को आवश्यक समझते थे. ललित कुमार ने अमरनाथ झा की पारिवारिक एवं सामाजिक विरासत एवं परंपरा का संक्षेप में परिचय दिया.
लघुकथा पाठ लेखक बलराम की अध्यक्षता में संपन्न हुआ, जिसमें अशोक भाटिया ने ‘लोक और तंत्र’, ‘चुनाव’ और ‘नमस्ते की वापसी’ शीर्षक से अपनी कहानियां प्रस्तुत कीं. चेतन त्रिवेदी की कहानियों के शीर्षक थे – ‘अल्फ्रेड पार्क’, ‘ईश्वर के लिए’ एवं ‘धर्म पुस्तक’. अशोक जैन ने ‘अब और नहीं’, ‘समर्पण एवं पोस्टर’ शीर्षक से कहानियां प्रस्तुत कीं. महेश दर्पण की कहानियों के शीर्षक थे ‘जीवित-मृत’, ‘लाइक’ एवं ‘रोबोट’. अध्यक्षता कर रहे बलराम ने लघुकथा के वर्तमान परिदृश्य पर टिप्पणी की तथा ‘मसीहा की आंखे’ शीर्षक से लघुकथा का पाठ किया. सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत गायन एवं कथक नृत्य की प्रस्तुति हुई. उत्कर्ष झा ने राग यमन एवं कुछ भजनों की प्रस्तुति दी और काशवी पाण्डेय ने कथक नृत्य प्रस्तुत किया. व्यंग्य-पाठ प्रेम जनमेजय की अध्यक्षता में संपन्न हुआ जिसमें आलोक पुराणिक, अर्चना चतुर्वेदी, लालित्य ललित एवं सुभाष चंदर ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं. प्रेम जनमेजय ने प्रदूषण पर बात करते हुए सरकारी और सामाजिक तंत्र पर कड़े कटाक्ष किए. अन्य रचनाओं में भी वर्तमान परिस्थितियों पर गहरे तंज थे. हिंदी कविता-पाठ लक्ष्मीशंकर वाजपेयी की अध्यक्षता में हुआ जिसमें अनिरुद्ध कुमार, अनुपम कुमार, राकेश कुमार, वाजदा ख़ान, पूनम तुषामड़ ने अपनी-अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं. सर्वप्रथम वाजदा ख़ान ने अपनी चार कविताएं प्रस्तुत कीं जिनके शीर्षक थे- क्या चाहते वर्जनाएं हैं, चांद, तोता पाठ एवं कुछ अनावश्यक झूठ. अनिरुद्ध कुमार ने संविधान पर अपनी कविताएं प्रस्तुत की. अनुपम कुमार ने ‘मां तुम्हारी गंध’ कविता के साथ ही एक गीत ‘मैं हूं तेरा प्रिय’ प्रस्तुत किया. राकेश कुमार की कविताएं थीं- कुर्सियां, सूरज, एवं स्त्री का होना. पूनम तुषामड़ ने ‘स्त्री की कविता’, ‘स्त्री जीवन का गणित’ एवं ‘औरत और साग’ कविताएं प्रस्तुत कीं. कविता-पाठ की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि लक्ष्मीशंकर वाजपेयी ने कुछ क्षणिकाएं, गीत एवं मुक्तक प्रस्तुत किए. एक मुक्तक था ‘दर्द जब बेजुबान होता है, कोई शोला जवान होता है’. लेखक से संवाद कार्यक्रम के अंतर्गत नासिरा शर्मा एवं अशोक चक्रधर से क्रमशः अशोक तिवारी एवं ओम निश्चल ने बातचीत की. पुस्तक मेले के दौरान हर आयु वर्ग के पुस्तक प्रेमियों ने प्रतिदिन अपनी अच्छी उपस्थिति दिखाई.