जम्मू: स्थानीय राइटर्स क्लब में केंद्रीय साहित्य अकादेमी ने ‘मेरे झरोखे से‘ और ‘अस्मिता‘ नामक दो कार्यक्रमों का आयोजन किया. ‘मेरे झरोखे से‘ कार्यक्रम शृंखला के तहत अपनी भाषा और क्षेत्र का कोई प्रख्यात लेखक अन्य प्रतिष्ठित लेखकों के बारे में बताता है. ऐसे लेखक जो अपने पीछे अमर, अविस्मरणीय साहित्यिक कार्य को पीछे छोड़ गए हैं. इस बार यह कड़ी साहित्य अकादेमी पुरस्कार विजेता प्रख्यात कवि स्वर्गीय मोहन लाल सपोलिया को समर्पित थी. सर्जक डा ज्ञान सिंह वक्ता के रूप में उपस्थित थे. डा सिंह ने मोहन लाल सपोलिया के बारे में गहरी चिंता और उत्साह के साथ अपनी बात रखी और सपोलिया के अद्वितीय और मौलिक दृष्टिकोण के साथ विस्तार से बात की. सभागार में उपस्थित सभी लोगों ने व्याख्यान की सराहना की. याद रहे कि मोहनलाल सपोलिया डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार थे, जिन्हें उनके कविता-संग्रह ‘सोध समुंदरें दी‘ के लिये 1989 में साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
इसी तरह ‘अस्मिता‘ कार्यक्रम शृंखला के तहत महिला रचनाकारों, लेखकों को अपनी साहित्यिक उत्कृष्टता व्यक्त करने के लिए एक मंच दिया जाता है. इस कार्यक्रम के तहत प्रमुख महिला लेखकों को उनकी उत्कृष्ट कृति कविता या कहानियों को पढ़ने के लिए आमंत्रित किया जाता है. इस बार का ‘अस्मिता‘ कार्यक्रम कविता को समर्पित था. जिसमें सभी पांच प्रतिभागियों ने शिरकत किया. प्रतिभागी सरिता खजूरिया, सुषमा रानी राजपूत, निर्मल विक्रम जैन, विजया ठाकुर और उषा किरण किरण ने अपनी चुनिंदा कविताओं का पाठ किया और दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. साहित्य अकादेमी के संयोजक, डोगरी सलाहकार बोर्ड के सदस्य मोहन सिंह ने दोनों कार्यक्रमों की अध्यक्षता की और साहित्य अकादेमी की योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया कि साहित्य अकादेमी 24 भाषाओं के भारतीय साहित्य के विकास के लिए काम कर रही है और डोगरी भाषा का साहित्य उनमें से एक है. उन्होंने आगे कहा कि युवाओं और महिलाओं के संवर्धन के लिए कई योजनाएं हैं. इसलिए, उन्हें अवसरों का लाभ उठाने के लिए आगे आना चाहिए.