नई दिल्ली: देश के जानेमाने अंग्रेजी, ओड़िआ कवि, विद्वान और साहित्य अकादेमी के महत्तर सदस्य जयंत महापात्र के निधन पर अकादमी नेगहरी संवेदना जताई है. महापात्र की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर शोक प्रस्ताव पारित किया गया और एक मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई. ज्ञात हो कि महापात्र का निधन कटक में हुआ, जिसे सुनते ही भारतीय साहित्य जगत में शोक की लहर व्याप्त हो गई. साहित्य अकादेमी के सचिव के श्रीनिवासराव द्वारा जारी शोक प्रस्ताव में विस्तार से महापात्र के न होने से उपजे दुःख और उनके सृजनकर्म को इन शब्दों में याद किया गया- हमें यह समाचार सुनकर अत्यंत कष्ट और शोक हुआ कि भारतीय अंग्रेज़ी कविता के पुरोधा, प्रतिष्ठित विद्वान और साहित्य अकादेमी के महत्तर सदस्य प्रोफेसर जयंत महापात्र का कटक में ब्रेन स्ट्रोक के कारण निधन हो गया है. प्रोफेसर जयंत महापात्र ने भारतीय अंग्रेज़ी कविता की आधारशिला रखी तथा उन्होंने केवल कविता ही नहीं बल्कि समग्र रूप से भारतीय साहित्य को समृद्ध बनाने में योगदान दिया.
वक्तव्य में कहा गया है कि- अपने लंबे और उत्कृष्ट कार्य-जीवन में, प्रोफेसर महापात्र की अंग्रेज़ी और ओड़िआ में 30 से अधिक कृतियां प्रकाशित हुईं तथा उन्हें ‘रिलेशनशिप‘ कविता-संग्रह के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार से समानित किया गया. वे पद्म श्री, साहित्य अकादेमी महत्तर सदस्यता, जैकब ग्लैडस्टीन मेमोरियल अवार्ड, एलन टेट कविता पुरस्कार, टाटा लिटरेचर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड और सार्क लिटरेचर अवार्ड सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों तथा सम्मानों से विभूषित थे. प्रोफेसर जयंत महापात्र अंग्रेज़ी में साहित्य अकादेमी पुरस्कार तथा महत्तर सदस्यता प्राप्त करने वाले प्रथम भारतीय कवि थे. प्रो जयंत महापात्र आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन वे अपने पीछे समृद्ध कृतियां और विरासत छोड़ गए हैं जो हमेशा जीवंत बने रहेंगे. साहित्य अकादेमी भारत के साहित्यिक समाज के साथ प्रोफेसर जयंत महापात्र के निधन पर अत्यंत शोक प्रकट करती है तथा दिवंगत लेखक के परिवार के प्रति संवेदना निवेदित करती है.