मधुबनी: साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित मैथिली के वरिष्ठ साहित्यकार पंडित गोविन्द झा के निधन से मैथिली जगत को अपूरणीय क्षति पहुंची है. मधुबनी जिले के ईसहपुर गांव में 10 अक्तूबर 1923 को जन्मे गोविंद झा ने जीवन की शतकीय पारी पूरी करने के बाद भी अनवरत लिखना जारी रखा था. वे मैथिली के साथ-साथ हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, बांग्ला, नेपाली सहित कई भाषाओं के विद्वान थे. उनकी सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं. कथा संग्रह ‘सामाक पौती‘ के लिए 1993 में उन्हें साहित्य अकादेमी पुरस्कार दिया गया था. डा झा के निधन पर साहित्य और सामाजिक जगत से शोक संवेदनाओं का तांता लग गया. उनके पुत्र डा अरविन्द अक्कू स्थापित नाट्यकार और पटना उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त पदाधिकारी हैं.
डा झा के निधन पर डा भीमनाथ झा, डा रमण झा, लनामि विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर विभागाध्यक्ष डा दमन कुमार झा, डा अजित मिश्र, ईशानाथ झा, डा अरविन्द सिंह झा, डा सुरेश पासवान, प्रो सोनी कुमारी आदि ने शोक व्यक्त किया. गांव घर की साहित्यक संस्था यदुनाथ सार्वजनिक पुस्तकालय और डा गंगानाथ वाचनालय सहित कई जगहों पर शोक सभाएं हुईं. याद रहे कि बिहार सरकार के राजभाषा विभाग से सेवानिवृत्त पंडित झा ने बसात, रूक्मिणीहरण, लोढ़ानाथ जैसे बहुचर्चित नाटकों की भी रचना की थी, जिन्हें मैथिली साहित्य और रंगमंच के एक नये अध्याय के रूप में देखा गया. आपने मैथिली शब्दकोश का निर्माण भी किया, जो कल्याणी कोष के नाम से चर्चित है.