रतलाम: “भारत भूमि पर ज्ञान, विज्ञान और विकास में साहित्य की महत्त्त्वपूर्ण भूमिका रही है. वैज्ञानिक अवधारणाओं को हमारे प्राचीन विद्वानों ने काफी पहले समझा दिया था. साहित्य में भी विज्ञान का समावेश होता रहा है. कई सदी पहले तुलसीदास ने ‘जुग सहस्त्र योजन पर भानु‘ और ‘राम रसायन‘ जैसी वैज्ञानिक शब्दावली का प्रयोग अपनी काव्य अभिव्यक्ति में किया था. इस दृष्टि से रचनाकार आशीष दशोतर की विज्ञान कविताएं साहित्य में ही नहीं, विज्ञान में भी अपना महत्त्वपूर्ण स्थान रखती हैं.” यह कहना था जावरा के विधायक डा राजेंद्र पांडेय का. वह रचनाकार आशीष दशोत्तर की विज्ञान कविताओं के समाविष्ट काव्य संग्रह ‘तुम भी?’ का विमोचन कर रहे थे. इस अवसर पर मंचासीन अतिथियों ने पुस्तक का विमोचन किया तथा रचनाकार दशोत्तर को शुभकामनाएं प्रदान की.
इस अवसर पर डा पांडेय ने कहा कि प्राचीन काल में विज्ञान के सिद्धांत, साधना और अनुभव के आधार पर दिए जाते थे. भारतीय विद्वानों ने विश्व को जो नियम दिए वे आज तक कायम हैं. आज साधना का स्थान साधन ने ले लिया है. इसीलिए आज के प्रयोग और विज्ञान के सिद्धांत साधन के आधार पर सिद्ध हो रहे हैं. यह विज्ञान की तरक्की हो सकती है, पर अतीत के गौरव को भुलाया नहीं जा सकता. इसलिए इन सब के साथ साहित्य के माध्यम से भी विज्ञान की अवधारणाओं को समाज के सामने लाया जा रहा है. यह महत्त्वपूर्ण है. इसी से सामाजिक चेतना और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को जनता के बीच में पहुंचाया जा सकता है. इस अवसर पर बड़ी संख्या में साहित्य रसिक और सुधीजन मौजूद थे. इस आयोजन में शासकीय कला विज्ञान महाविद्यालय के प्राचार्य डा वाईके मिश्रा, शासकीय कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य डा आरके कटारे, इंदौर महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर पीके दुबे, जिला शिक्षा अधिकारी केसी शर्मा, जिला विज्ञान अधिकारी जितेंद्र जोशी भी मौजूद थे.