नई दिल्ली: “यदि हम लक्ष्य निर्धारित करते हैं और उन्हें प्राप्त करने में सफल होते हैं, तो हम एक नई क्रांति ला सकते हैं, इसके बिना हम आगे नहीं बढ़ सकते. कभी-कभी आप समीक्षा करते होंगे कि हमारे लक्ष्य क्या थे, हमने कितना हासिल किया, यदि हम कम हासिल कर पाए, तो क्या कमी रह गई जिसे पूरा करने की जरूरत है.” यह बात केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कृषि अनुसंधान योजना के संबंध में चर्चा के दौरान कही. 113 अनुसंधान संस्थानों के बारे में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमें यह आकलन करना चाहिए कि यह कार्य महत्त्वपूर्ण है और हमारे पास एक नेटवर्क होना चाहिए और क्या हमारा नेटवर्क अपेक्षित परिणाम दे पाया है, क्या यह ठीक से काम कर रहा है या नहीं, जिस उद्देश्य के लिए इसे बनाया गया था और अगर इसमें कोई कमी है तो उसकी विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए.
चौहान ने आगे कहा कि ऐसा करने से, हम 2047 तक अपने तय किए गए लक्ष्यों को प्राप्त कर लेंगे. अगर हमने 2047 के लिए लक्ष्य तय किया है, तो हमें यह भी तय करना चाहिए कि 2026 के लिए हमारे लक्ष्य क्या हैं, 2026 में कितना हासिल हुआ और 2027 में कितना हासिल हुआ. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि झारखंड में सिंचित और असिंचित क्षेत्रों में उत्पादकता देश के बाकी हिस्सों की तुलना में कम है, इस पर काम करने की जरूरत है. उत्पादकता में संतुलन के लिए अभियान चलाया जाना चाहिए. चौहान ने विभागीय योजना के सभी पहलुओं को समझते हुए किसानों की उत्पादकता और आय बढ़ाने तथा उत्पादन लागत को कम करने वाले अनुसंधानों पर ध्यान केंद्रित करने के निर्देश दिए. इस अवसर पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री राम नाथ ठाकुर एवं भागीरथ चौधरी, कृषि सचिव मनोज आहूजा तथा कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा हिमांशु पाठक भी उपस्थित थे.