नई दिल्ली: “धर्म का हमारे जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान है. धार्मिक विश्वास और प्रथाएं हमें विपरीत परिस्थितियों में राहतआशा और शक्ति प्रदान करती हैं. प्रार्थना और ध्यान मनुष्यों को आंतरिक शांति और भावनात्मक स्थिरता का अनुभव प्रदान करने में मदद करते हैं. लेकिन शांतिप्रेमपवित्रता और सत्य जैसे मौलिक आध्यात्मिक मूल्य ही हमारे जीवन को सार्थक बनाते हैं.” यह बात राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्रपति भवन में अंतरधार्मिक बैठक में कही. उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक मूल्यों से रहित धार्मिक प्रथाएं हमें लाभान्वित नहीं कर सकतीं. समाज में शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने के लिएसहिष्णुतापरस्पर सम्मान और सद्भाव के महत्व को समझना आवश्यक है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की उक्ति ‘मानवता का धर्म‘ ही वास्तविक धर्म है, ‘सत्य‘ ही ईश्वर है और ‘मानव सेवा‘ ही ईश्वर की सेवा है का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि एक सुनहरा नियम है – दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करें जैसा व्यवहार आप दूसरों से चाहते हैं. जब हम इस मानदंड को ध्यान में रखते हुए कार्य करेंगेतब हम दूसरों के प्रति सहानुभूति रखना और उनका सम्मान करना सीखेंगे.

राष्ट्रपति ने कहा कि प्रत्येक मानव आत्मा स्नेह और सम्मान की हकदार है. आत्मबोध का भावमूल आध्यात्मिक गुणों के अनुसार जीवन-यापन करना और परमात्मा के साथ आध्यात्मिक संबंध रखना ही सांप्रदायिक सद्भाव और भावनात्मक एकीकरण का सहज साधन है. राष्ट्रपति ने कहा कि प्रेम और करुणा के बिना मानवता का अस्तित्व नहीं है. आज मनुष्य के भीतरमनुष्यों के बीचतथा मनुष्यों और प्रकृति के बीच संघर्ष चल रहा है. जहां कहीं भी दुःख हैवहां प्रेम का अभाव है. इसका मूल कारण है कि हम भूल गए हैं कि हम कौन हैं. हम बाहरी सुख की तलाश में लगे हुए हैं. हम अपने संकल्पों और व्यवहार से जो शांतिप्रेमऔर खुशी का अनुभव कर सकते हैंउसे छोड़ कर मृगतृष्णाओं के पीछे दौड़ रहे हैं. हम दूसरों से अपनी तुलना करते हैं और जब हम देखते हैं कि वे हमसे ज्यादा खुश हैंतो हम असंतुष्ट या ईर्ष्यालु हो जाते हैं. उनके पास जो कुछ है उसे पाने की इच्छा करने लगते हैं. इससे परायेपन का और संघर्ष का भाव पैदा होता है. राष्ट्रपति मुर्मु ने जोर देकर यह कहा कि जब विभिन्न धर्मों के लोग सद्भाव से एक साथ रहते हैंतो समाज और देश का सामाजिक ताना-बाना सुदृढ़ होता है. यही शक्ति देश की एकता को और मजबूत करती है तथा उसे प्रगति के पथ पर अग्रसर करती है. उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित देश के रूप में स्थापित करना है. इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सभी का सहयोग आवश्यक होगा.