सांताक्रूज: मुंबई विश्वविद्यालय विद्या नगरी परिसर कलिना में सुदर्शना द्विवेदी की पुस्तक ‘कुछ रंग कुछ कहानियां‘ का विमोचन हुआ. इस अवसर पर मुंबई के जानेमाने पत्रकार, गीतकार, लेखक, अभिनेता उपस्थित थे. इनमें मशहूर अभिनेता मनोज बाजपेयी भी न केवल पूरे समय उपस्थित रहे, बल्कि उन्होंने सुदर्शना द्विवेदी से जुड़ी कई बातें साझा की और उनकी कहानी का अंश पाठ भी किया. मनोज के सस्वर वाचन और शब्दों के बहाव का अपना अनूठा अंदाज उनके शब्दों में भी दिखा. उन्होंने कहा कि सुदर्शना जी की कहानियों में नारी की प्रधानता और उसके त्याग की पराकाष्ठा दिखाई देती है. बाजपेयी ने कहा कि सुदर्शना जी से उन्हें और गहराई से जोड़ने वाली एक दूसरी चीज है, ‘क्रिया योग‘, जिसमें उन्हीं की तरह वह और उनका परिवार भी दीक्षित है. जयंती रंगनाथन ने इस मौके पर धर्मयुग के दौरान अपने और सुदर्शना के बीच बने रिश्तों की बात की और कहा कि सुदर्शना जी ने मुझे न सिर्फ जीवन जीना सिखाया, बल्कि कलम पकड़ना भी मैंने उन्हीं से सीखा है. यह पुस्तक मेरी अपनी इस मां को गुरु दक्षिणा है. याद रहे कि जयंती और इस कार्यक्रम की आयोजक रेखा बब्बल ने मिलकर इन कहानियों को जुटाकर उन्हें एक संकलन का रूप दिया.
इस मौके पर ढब्बूजी फेम लेखक व कार्टूनिस्ट आबिद सुरती ने भी धर्मयुग काल की स्मृतियां ताजा कीं. कार्यक्रम में केवल बाजपेयी ने ही नहीं बल्कि अभिनय, रंगमंच और रेडियो से जुड़े कलाकारों, उद्घोषकों ने भी सुदर्शना द्विवेदी अलग-अलग कहानियों का अंश पाठ किया. रेडियो सखी ममता सिंह ने इस अवसर के अनुभव भी सोशल मीडिया पर चित्रों के साथ साझा किया और लिखा कि विमोचन अवसर पर मंच पर मैंने भी उनकी कहानी ‘एक सपने की मौत‘ का अंश पाठ किया. बेहद सशक्त और मार्मिक कहानी पढ़ कर मुझे भी रोमांच हो आया. बाजपेयी और सिंह के अलावा कविता गुप्ता, विभा रानी और रश्मि रविजा ने भी कहानियां पढ़ीं. सुदर्शना द्विवेदी ने आभार ज्ञापित करते हुए कहा कि इस शहर में आए मुझे 52 साल हो गए जिसमें से 45 साल मैं अकेली रही. लेकिन, इस शहर ने मुझे बेगाना नहीं समझा. झोली से ज्यादा और आंचल भरकर यहां मुझे प्यार मिला. आज आंखें गीली हैं, दिल भरा है, इतना प्यार मैं किस तरह संभालूं. कार्यक्रम में मंच संचालन का दायित्व देवमणि पांडेय ने संभाला. रेखा बब्बल और उनके जीवन साथी इस पूरे आयोजन के कर्ताधर्ता रहे. कई वरिष्ठ पत्रकारों ने सुदर्शना द्विवेदी से जुड़े संस्मरण और उनके संग साथ, निजी जिंदगी और उनके लेखन से जुड़ी बातें साझा कीं. वरिष्ठ कथाकार सूर्यबाला सहित मुंबई साहित्य जगत, टीवी और फिल्मी दुनिया की कई जानी-मानी हस्तियां यहां मौजूद थीं.