गोरखपुर: हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के संवाद भवन में आयोजित कार्यक्रम में आचार्य रामचंद्र तिवारी की चर्चित पुस्तक ‘हिंदी का गद्य साहित्य’ के 15वें संस्करण के लोकार्पण किया. हिंदी एवं आधुनिक भाषा तथा पत्रकारिता विभाग के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल ने कहा कि आचार्य रामचंद्र तिवारी ने हिंदी साहित्य में जो नींव रखी है, वह नई पीढ़ी का पथ प्रदर्शित करती रहेगी. राज्यपाल ने कहा कि मैं उन्हें एक आदर्श अध्यापक और महामानव के रूप में जानता हूं. उनके भीतर अपने ज्ञान को लेकर कोई अहंकार नहीं था. राज्यपाल ने लोकार्पित पुस्तक की विशेषताओं की विस्तार से चर्चा करते हुए विश्वविद्यालय से आचार्य तिवारी पर केंद्रित एक बड़ा कार्यक्रम करने की अपेक्षा की और इस निमित्त एक लाख रुपए देने की भी घोषणा की. केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा के उपाध्यक्ष प्रो सुरेंद्र दुबे ने फिराक गोरखपुरी की पंक्तियों को उद्धृत करते हुए कहा कि हम लोग भाग्यशाली हैं कि हम प्रो तिवारी के छात्र हैं. उन्होंने केंद्रीय हिंदी संस्थान द्वारा प्रो रामचंद्र तिवारी पर बृहद आयोजन करवाने की पेशकश की. पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो अनंत मिश्र ने कहा कि प्रो रामचंद्र तिवारी का व्यक्तित्व उस दर्पण की भांति था जिसके सामने आते ही स्वयं का दोष दिखाई देने लगता था.

प्रो कृष्ण चंद्र लाल ने कहा कि प्रो तिवारी की यह पुस्तक आचार्य रामचंद्र के शुक्ल के ‘हिंदी साहित्य का इतिहास’ की पूरक है. मैंने उन्हें आदर्श शिक्षक आलोचक, साहित्यकार के रूप में ही पाया. जोड़-तोड़ से वह हमेशा दूर रहे. प्रो अनिल कुमार राय ने कहा कि हजार पृष्ठों में फैली इस पुस्तक ने हिंदी साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है. प्रो चितरंजन मिश्र ने कहा कि प्रो तिवारी विद्यानुरागी व्यक्ति थे, जिनके अनुसार अध्यापक किसी के अधीन नहीं होता है बल्कि केवल विद्या के अधीन होता है. अध्यक्षीय के उद्बोधन में कुलपति प्रो पूनम टंडन ने हिंदी और पत्रकारिता विभाग की प्रशंसा करते हुए इसे देश के विश्वविद्यालयों में हिंदी के सर्वश्रेष्ठ विभाग में से एक बताया. कुलपति ने इस विभाग की जनसंचार एवं पत्रकारिता इकाई की भी तारीफ की. स्वागत वक्तव्य हिंदी एवं पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष प्रो दीपक प्रकाश त्यागी ने दिया. संचालन एवं आभार ज्ञापन प्रो रामचंद्र तिवारी के पुत्र डा धर्मव्रत तिवारी और प्रेमव्रत तिवारी ने किया.