नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डा कृष्ण गोपाल ने एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में साहित्यकार विद्यानिवास मिश्र की 21 खंडों में प्रकाशित ‘पं विद्यानिवास मिश्र रचनावली‘ का लोकार्पण किया. डा दयानिधि मिश्र ने रचनावली का संपादन किया है. इस मौके पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंददेव गिरि सहित अनेक गणमान्य उपस्थित थे. याद रहे कि विद्यानिवास मिश्र संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी के जाने-माने विद्वान, भाषाविद, साहित्यकार और संपादक थे. भारत सरकार द्वारा साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित मिश्र को ललित निबंध परंपरा में आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी और कुबेरनाथ राय के साथ एक त्रयी के रूप में देखा जाता था.
गोरखपुर विश्वविद्यालय ने ‘पाणिनीय व्याकरण की विश्लेषण पद्धति‘ पर डाक्टरेट की उपाधि रखने वाले डा मिश्र की दर्जनों पुस्तकें प्रकाशित हुईं. अब प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित डा दयानिधि मिश्र द्वारा संपादित रचनावली के 21 खंडों में ‘अभी अभी हूं अभी नहीं है‘, ‘जोड़ने जुड़ने की राह‘, ‘दादुर वक्ता भए‘, ‘आत्मीयता की तलाश‘, ‘तेरे अनगिन कितने चेहरे‘, ‘राम और कृष्ण: जन-जन के अपने‘, ‘नमोवांक प्रशास्महे‘, ‘हिंदी साहित्य की काल निचोड़ प्रतिभा‘, ‘तुम दिया हम बाती‘, ‘साहित्य और लोक की पहचान‘, ‘सहृदय हृदय संवाद‘, ‘भाषा चिंतन‘, ‘आहत पर अप्रतिहत हिंदी‘, ‘भारतीय परंपरा और भारत‘, ‘हिंदू होने का मतलब‘, ‘संस्कृति संवाद‘, ‘मुकुर निज पानी‘, ‘परस्पर‘, ‘पाणिनियन भाषाविज्ञान‘, ‘वक् और रस‘ और ‘भारतीय विचार और संस्कृति‘ शामिल हैं.