हिसार: साहित्यकार की लेखनी का सम्मान उसके अपने क्षेत्र में ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों में भी, जहां उसके पाठक हैं होती है, लेकिन उसकी कृति के प्रसारण का कार्य भी स्तुत्य है. शहर के साहित्य प्रचारक एवं पर्यावरण प्रेमी पृथ्वी सिंह गिला का सम्मान इसी नेक उद्देश्य के चलते बीकानेर के जय नारायण व्यास कॉलोनी स्थित जाम्भाणी साहित्य अकादमी भवन में हुआ. गिला का सम्मान उनकी अभूतपूर्व साहित्यिक सेवाओं के लिए किया गया. गिला ने सरकारी सेवा से अवकाश लेने के बाद गुरु जाम्भोजी और जाम्भाणी जैसे संत की वाणी के प्रचार को ही अपने जीवन का ध्येय बना लिया. वह जगह-जगह घूम कर जहां पर जाम्भाणी हरि कथा आदि आयोजन होते हैं, जाम्भाणी साहित्य वितरित करते हैं. केवल इतना ही नहीं वृक्षारोपण के अलावा लोगों को दान के लिए भी प्रेरित करते हैं.
सम्मान समारोह में बुधराम सहारण, डॉ हरिराम बिश्नोई, रविन्द्र राहड़, ठेकेदार एसके साहब, सुभाष खीचड़, अजयपाल गिला भी उपस्थित रहे. सम्मान समारोह में इस बात का उल्लेख किया गया कि गिला ने अब तक जाम्भाणी साहित्य अकादमी बीकानेर द्वारा प्रकाशित 3500 सबदवाणी, 3675 जम्भसागर, 1800 बाल पोथी, 950 सूक्ति सागर, 200 बिश्नोई पंथ और साहित्य की कुल 10 हजार 125 पुस्तकों का वितरण किया है. जाम्भाणी साहित्य अकादमी बीकानेर की संरक्षिका डॉ सरस्वती बिश्नोई, आचार्य कृष्णानंदजी ऋषिकेश, अकादमी की अध्यक्ष प्रो डॉ इंद्रा बिश्नोई, पूर्व महासचिव डॉ सुरेन्द्र कुमार खिचड़, कोषाध्यक्ष डॉ भंवरलाल बिश्नोई, महासचिव विनोद जंभदास आदि ने गिला को इस सम्मान के लिए बधाई दीं.