शिमला: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हिमाचल प्रदेश के लेपचा में सुरक्षा बलों के साथ दीवाली मनाते हुए जो संबोधन दिया, उसमें भारत माता की जय के साथ मां भारती के जयघोष, भारतीय सेनाओं और सुरक्षाबलों के पराक्रम, लेपचा की ऐतिहासिक धरती और दीपावली के पवित्र त्योहार के साथ ही कई साहित्यिक रचनाओं का उल्लेख भी किया. सैनिकों के साथ दीवाली का उत्सव मनाने को लेकर उन्होंने कहा कि कहा जाता है कि पर्व वहीं होता है, जहां परिवार होता है. पर्व के दिन अपने परिवार से दूर सीमा पर तैनात रहना, ये अपने आप में कर्तव्यनिष्ठा की पराकाष्ठा है. देश इसलिए आपका कृतज्ञ है, ऋणी है. इसलिए दीपावली पर हर घर में एक दीया आपकी सलामती के लिए भी जलता है. इसलिए हर पूजा में एक प्रार्थना आप जैसे वीरों के लिए भी होती है. मैं भी हर बार दिवाली पर सेना के अपने सुरक्षाबलों के जवानों के बीच इसी एक भावना को लेकर के चला जाता हूँ. कहा भी गया है- अवध तहां जहं राम निवासू! यानी, जहां राम हैं, वहीं अयोध्या है. मेरे लिए जहां मेरी भारतीय सेना है, जहां मेरे देश के सुरक्षाबल के जवान तैनात हैं, वो स्थान किसी भी मंदिर से कम नहीं है. जहां आप हैं, वहीं मेरा त्योहार है. प्रधानमंत्री ने कहा कि इस धरती ने इतिहास के पन्नों में पराक्रम की स्याही से अपनी ख्याति खुद लिखी है. आपने यहाँ की वीरता की परिपाटी को अटल, अमर और अक्षुण्ण बनाया है. आपने साबित किया है कि- आसन्न मृत्यु के सीने पर, जो सिंहनाद करते हैं. मर जाता है काल स्वयं, पर वे वीर नहीं मरते हैं.
अपने लंबे उद्बोधन में प्रधानमंत्री ने सैन्य सेवाओं और सैनिकों के हित में किए गए तमाम फैसलों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ने सदियों के संघर्षों को झेला है, शून्य से संभावनाओं का सृजन किया है. 21वीं सदी का हमारा भारत अब आत्मनिर्भर भारत के रास्ते पर कदम बढ़ा चुका है. अब संकल्प भी हमारे होंगे, संसाधन भी हमारे होंगे. अब हौसले भी हमारे होंगे, हथियार भी हमारे होंगे. दम भी हमारा होगा और कदम भी हमारे होंगे. हर श्वास में हमारे विश्वास भी अपार होगा. खिलाड़ी हमारा खेल भी हमारा जय विजय और अजेय है प्रण हमारा, ऊंचे पर्वत हों या रेगिस्तान समंदर अपार या मैदान विशाल, गगन में लहराता ये तिरंगा सदा हमारा. अमृतकाल की इस बेला में, वक्त भी हमारा होगा, सपने सिर्फ़ सपने नहीं होंगे, सिद्धि की एक गाथा लिखेंगे, पर्वत से भी ऊपर संकल्प होगा. पराक्रम ही होगा विकल्प होगा, गति और गरिमा का जग में सम्मान होगा, प्रचंड सफलताओं के साथ, भारत का हर तरफ जयगान होगा. क्योंकि, अपने बल विक्रम से जो संग्राम समर लड़ते हैं. सामर्थ्य हाथ में रखने वाले, भाग्य स्वयं गढ़ते हैं. देश जानता है कि आपका हर कदम इतिहास की दिशा निर्धारित करता है. उन्होंने एक कविता को पढ़ते हुए कहा कि आप जैसे वीरों के लिए ही कहा गया है- शूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते, विघ्नों को गले लगाते हैं, कांटों में राह बनाते हैं.