भुबनेश्वर: “आप जिस ओड़िशा की महान धरती पर जुटे हैं, वो भी भारत की समृद्ध विरासत का प्रतिबिंब है.ओड़िशा में कदम-कदम पर हमारी हैरिटेज के दर्शन होते हैं. उदयगिरी-खंडगिरी की ऐतिहासिक गुफाएं हों, कोणार्क का सूर्य मंदिर हो, तम्रलिप्ति, मणिकपटना और पलूर के प्राचीन पोर्ट्स हों, ये देखकर हर कोई गौरव से भर उठता है.” प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 18वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन के अवसर पर यह बात कही. उन्होंने कहा कि सैकड़ों वर्ष पहले भी ओड़िशा से हमारे व्यापारी-कारोबारी लंबा समुद्री सफर करके बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानों तक जाते थे. उसी स्मृति में आज भी ओड़िशा में बाली जात्रा का आयोजन होता है. प्रधानमंत्री ने कहा कि यहीं ओड़िशा में धौली नाम का वो स्थान है, जो शांति का बड़ा प्रतीक है. दुनिया में जब तलवार के जोर पर साम्राज्य बढ़ाने का दौर था, तब हमारे सम्राट अशोक ने यहां शांति का रास्ता चुना था. हमारी इस विरासत का ये वही बल है, जिसकी प्रेरणा से आज भारत दुनिया को कह पाता है कि- भविष्य युद्ध में नहीं है, बुद्ध में है. इसलिए ओड़िशा की इस धरती पर आपका स्वागत करना मेरे लिए बहुत विशेष हो जाता है.

प्रधानमंत्री ने दुनिया भर में भारतीय प्रवासियों के महत्त्वपूर्ण इतिहास की जानकारी देते हुए विभिन्न देशों में उनकी उपलब्धियों को भारत की विरासत का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा बताया. उन्होंने आग्रह किया कि इन दिलचस्प और प्रेरक कहानियों को हमारी साझा विरासत और विरासत के हिस्से के रूप में साझा, प्रदर्शित और संरक्षित किया जाना चाहिए. प्रधानमंत्री ने कहा कि आधुनिक भारत विकास और विरासत के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि जी-20 बैठकों के दौरान, दुनिया को भारत की विविधता का प्रत्यक्ष अनुभव प्रदान करने के लिए देश भर में सत्र आयोजित किए गए. उन्होंने काशी-तमिल संगमम, काशी तेलुगु संगमम और सौराष्ट्र-तमिल संगमम जैसे आयोजनों का गर्व से उल्लेख किया. प्रधानमंत्री ने आगामी संत तिरुवल्लुवर दिवस का भी उल्‍लेख किया और उनकी शिक्षाओं का प्रसार करने के लिए तिरुवल्लुवर संस्कृति केंद्रों की स्थापना की घोषणा की. प्रधानमंत्री ने कहा कि इसका पहला केंद्र सिंगापुर में शुरू हो गया है और अमेरिका के ह्यूस्टन विश्वविद्यालय में तिरुवल्लुवर चेयर की स्थापना की जा रही है. भारत में विरासत स्थलों को जोड़ने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि रामायण एक्सप्रेस जैसी विशेष रेल भगवान राम और सीता माता से जुड़े स्थानों तक पहुंच प्रदान करती हैं.