गढ़वाल: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने स्थानीय श्रीनगर स्थित हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के 11वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर हिंदी साहित्य की दिग्गज हस्तियों को याद किया. राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि इस क्षेत्र ने हिंदी साहित्य को सुमित्रानंदन पंत से लेकर मनोहर श्याम जोशी, शिवानी, हिमांशु जोशी और मंगलेश डबराल तक कई महान प्रतिभाएं दी हैं. उत्तराखंड के लोगों ने सदैव शिक्षा को महत्व दिया है. उन्होंने कहा कि शिक्षा के प्रति लोगों का लगाव राज्य की साक्षरता दर में भी दिखता है, जो राष्ट्रीय औसत से बेहतर है. उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना में जन आंदोलन ने प्रमुख भूमिका निभाई थी. उन्होंने कहा कि 1970 के दशक में शिक्षा के लिए चलाया गया आंदोलन इस क्षेत्र में विकसित जन चेतना का प्रतीक है. 1973 में अपनी स्थापना के बाद से, हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय ने समय के साथ खुद को ढाल लिया है.
राष्ट्रपति ने कहा कि आज जब हम महिला नेतृत्व वाले विकास की ओर बढ़ रहे हैं तो 11वें दीक्षांत समारोह का विषय ‘सशक्त महिला, समृद्ध राष्ट्र‘ इस विश्वविद्यालय की प्रगतिशील सोच को दर्शाता है. राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तराखंड पर्यावरण की दृष्टि से अत्यधिक संवेदनशील राज्य है. उन्होंने कहा कि सतत विकास और संसाधनों के इष्टतम उपयोग के लिए अनुसंधान और नए नवाचारों की आवश्यकता है. उन्होंने आगे कहा कि स्थानीय जरूरतों और बाधाओं को ध्यान में रखते हुए आर्थिक विकास हासिल करना और रोजगार के अवसर सृजित करना एक चुनौती और अवसर दोनों है. उन्होंने कहा कि इस राज्य का एकमात्र केंद्रीय विश्वविद्यालय होने के नाते हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी और भी अधिक हो जाती है. उन्होंने इस बात पर बल दिया कि इस विश्वविद्यालय के सभी हितधारकों को ज्ञान का उपयोग लोगों का कल्याण करने के प्रयास में करना चाहिए. उन्होंने स्नातक छात्रों को अपनी जड़ों को न भूलने की सलाह दी और कहा कि वे सत्य, ईमानदारी और निष्पक्षता जैसे अपने नैतिक मूल्यों से कभी समझौता न करें और उन लोगों की मदद करने की पूरी कोशिश करें जो विकास की इस यात्रा में पीछे रह गए हैं.