नई दिल्लीः राष्ट्रपति भवन में यह अपनी तरह का एक अनूठा आयोजन था. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ‘आदिम संस्कृति के संवाहकों से संवाद’ के तहत देश के विभिन्न इलाकों के विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के सदस्यों के साथ बातचीत की. इस अवसर पर उन्होंने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी देखीं, जिनमें बिहार की मल पहाड़िया, गुजरात की सिद्दी, केरल की इरुला, राजस्थान की सहरिया, मध्य प्रदेश की बैगा परधौनी और ओड़िशा की बुदिगली शामिल थीं. इस अवसर पर सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें सभी 75 सदस्यों से मिलकर खुशी हुई. यह राष्ट्रपति भवन आप सबका है. इनमें से कई लोग पहली बार अपने गांवों से बाहर आए हैं. उन्होंने कहा कि उनमें से प्रत्येक अपने समुदाय का प्रतिनिधि हैं. राष्ट्रपति ने उनसे आग्रह किया कि वे अपने समुदाय के सदस्यों के साथ अपना अनुभव साझा करें और उन्हें सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के बारे में बताएं.राष्ट्रपति ने कहा कि आदिवासी समाज के लोगों ने मातृभूमि और उसकी प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक संपदा की रक्षा के लिए काफी बलिदान दिया है. उन्होंने कहा कि सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हम सभी आदिवासी समाज से सीख सकते हैं. इससे पहले समूह ने राष्ट्रपति भवन और अमृत उद्यान का भ्रमण किया. राष्ट्रपति ने अमृत उद्यान में उनसे मुलाकात और बातचीत की.
राष्ट्रपति ने कमजोर जनजातीय समूहों के सदस्यों से शिक्षा को सबसे अधिक महत्त्व देने का आग्रह किया और बताया कि इस समुदाय के विद्यार्थियों के लिए एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों में सीटों का विशेष प्रावधान किया गया है. इसके अलावा नेशनल फेलोशिप और ओवरसीज स्कॉलरशिप स्कीम में भी उनके लिए सीटें आरक्षित हैं. उन्होंने समूह की महिलाओं से जनजातीय महिला सशक्तिकरण योजना सहित विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाने का भी आग्रह किया. राष्ट्रपति ने कहा कि जनजातीय उप-योजना के तहत भारत सरकार के 41 मंत्रालय और विभाग जनजातीय समुदायों के कल्याण के लिए अपने बजट का हिस्सा अलग रखते हैं. राष्ट्रपति ने कहा कि विगत कुछ वर्षों से आदिवासी समुदाय के प्रतिभाशाली लोगों को विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया जा रहा है. उन्होंने उम्मीद जताई कि कमजोर जनजातीय समूहों के लगभग 28 लाख लोगों सहित आदिवासी समाज के 10 करोड़ से अधिक लोग अपनी प्रतिभा का विकास करते हुए समाज एवं देश के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देंगे.