झांसी: ‘कविता भावनाओं को व्यक्त करने का सबसे अच्छा माध्यम है.‘ यह बात लोकभूषण पन्नालाल ‘असर‘ ने बुंदेलखन्ड विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित पुस्तक मेला और अखिल भारतीय लेखक शिविर में ‘बुन्देली काव्य और स्त्री विमर्श‘ चर्चा सत्र को संबोधित करते हुए कही. कविता लेखन के विभिन्न पहलुओं पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि कविता लिखना एक कला है. युवा अपनी बातों को कविताओं के माध्यम से रखने का प्रयास करें. ईसुरी जैसे कवियों का उदाहरण देकर उन्होंने अपनी बात को समझाया. विद्यापीठ महाविद्यालय की प्राचार्य डा सुधा रिछारिया ने कहा कि महिलाओं को हमेशा देना चाहिए. स्त्रियों के विभिन्न पहलुओं को साहित्य और कविता के माध्यम से समाज के सामने रखा गया है. उन्होंने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि जहां नारी का अपमान हो वहां अवश्य आवाज उठाएं.
डा महेंद्र कुमार जैन ने कहा कि बुंदेली साहित्य और काव्य का इतिहास बहुत समृद्ध है. युवाओं को इस पढ़ना चाहिए. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डा बिपिन प्रसाद ने कहा कि बुंदेलखंड की साहित्य और संस्कृति बहुत समृद्ध है. युवाओं को इसको पढ़ना चाहिए. कविता लेखन में भी रोजगार की संभावनाएं हैं. इस क्षेत्र में भी युवा नाम कमा सकते हैं. कार्यक्रम का संचालन डा प्रेमलता श्रीवास्तव ने किया. अतिथियों का स्वागत प्रो मुन्ना तिवारी और आभार डा अचला पांडेय ने दिया. इस अवसर पर डा श्रीहरि त्रिपाठी, प्रो राकेश पांडेय, नवीन चंद्र पटेल, डा पुनीत श्रीवास्तव, डा सुनीता वर्मा, डा सुधा दीक्षित, द्युती मालिनी, डा शैलेंद्र तिवारी, अकांक्षा सिंह, अजय शंकर तिवारी, मनीष, विशाल सहित बड़ी संख्या में शिक्षक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे.