मुंबई: “राजेश जोशी सदाबहार हैं. उन्हें साहित्य का देव आनंद कहा जा सकता है. मुक्तिबोध और रघुवीर सहाय के बाद वे हमारे समय के सबसे बड़े कवि हैं. 75 वर्ष की आयु में उनमें जो ऊर्जा हैउससे हम सभी को सीख लेनी चाहिए.” यह कहना है कवि और आलोचक विजय कुमार का. वे कवि राजेश जोशी को परिवार पुरस्कार से सम्मानित किए जाने के पश्चात बतौर प्रमुख वक्ता बोल रहे थे. उन्होंने जोशी की अनेक रचनाओं से उदाहरण देते हुए कहा कि उनमें कविता के बीच एक स्पेस गढ़ने की अद्भुत प्रतिभा है. वह बहुत सरलता से असाधारण कविता रच देते हैं.‘ राजेश जोशी को दो लाख रुपए का यह परिवार पुरस्कार इंडियन मर्चेंट चेंबर के वालचंद हीराचंद हाल में आयोजित कार्यक्रम में दिया गया. इस अवसर पर स्वीकृति वक्तव्य में जोशी ने कहा कि पाठक को कवि जादूगर लगता है. उसे लगता है कि मैं भी तो यही सोच रहा था. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि कवि कविता नहीं लिखता बल्कि कविता खुद को लिखवा लेती है.

सम्मान समारोह में जोशी ने ‘मैं झुकता हूं‘, ‘गांधी की घड़ी‘, ‘मन के एक टुकड़े से चांद बनाया गया‘, ‘चांद और बिल्लियां‘, ‘जो विरोध में बोलेंगे मारे जाएंगे‘ जैसी कविताएं भी सुनाई. विशिष्ट अतिथि और नवनीत के संपादक विश्वनाथ सचदेव ने कहा कि कवि में प्रतिरोध की क्षमता होनी चाहिए. राजेश जोशी में प्रतिरोध की प्रचुरता है. समारोह के अध्यक्ष और वरिष्ठ साहित्यकार नंदलाल पाठक का कहना था कि जोशी की कविताएं बताती हैं कि उनका जीवन कितना विराट है. कवि इसीलिए तो सभी का प्रतिनिधित्व करता है. परिवार के कार्याध्यक्ष सुंदर चंद ठाकुर ने कहा कि राजेश जोशी अस्सी के दशक बाद के समकालीन कवियों में शिखर पर हैं. वह विलक्षण बात बहुत आम तरीके से कहते हैंजो उनकी कविता को विराट बनाता है. कविकथाकार हरि मृदुल ने अपने वक्तव्य में राजेश जोशी के व्यक्तित्व और कृतित्व के कई अनछुए पहलुओं को सामने रखा. प्रमुख अतिथि के रूप में उपस्थित मराठी कवि हेमंत दिवटे ने जोशी को सम्मानित करने के बाद कहा कि राजेश जोशी की कविताओं में राजनीतिविद्रोह और मानवता है. उनसे समभाव की खुशबू आती है. मैं पहली बार हिंदी के किसी कार्यक्रम में आया हूं और मैं अब हिंदी-मराठी को जोड़ने का काम करूंगा. कार्यक्रम का संचालन देवमणि पांडेय ने किया. परिवार संस्था के अध्यक्ष सुशील गाडिया ने आभार व्यक्त किया.