नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त अरब अमीरात के अबू धाबी में ‘अहलान मोदी’ कार्यक्रम में अपने भाषण के दौरान भाषाओं के बीच समन्वय के कई उदाहरण दिए. भारत वंशियों का स्वागत करते हुए जहां उन्होंने दक्षिण भारतीय भाषा में “भारतम निंगड़ै-और्त् अभिमा-निक्कुन्नु! उंगलई पार्त भारत्म पेरुमई पड़गिरदु. भारता निम्मा बग्गे हेम्मे पडु-त्तदे! मी पइ भारतदेशम गर्विस्तोन्दी,” कह खुशी जाहिर की, जिसका अर्थ है- एक भारत-श्रेष्ठ भारत की ये सुंदर तस्वीर, आपका ये उत्साह, आपकी ये आवाज, आज अबू धाबी के आसमान के पार जा रही है. मेरे लिए इतना स्नेह, इतना आशीर्वाद, ये अभिभूत करने वाला है. आप समय निकालकर यहां आए, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं. वहीं भारत-संयुक्त अरब अमीरात में भाषाओं के स्तर पर दोनों देशों की नजदीकी का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि मुझे बताया गया है कि यहां स्टेडियम में इस वक्त सैकड़ों की संख्या में स्टूडेंट्स भी आए हैं. आज संयुक्त अरब अमीरात में मौजूद भारतीय स्कूलों में ऐसे सवा लाख से अधिक स्टूडेंट पढ़ रहे हैं. ये युवा साथी, भारत-संयुक्त अरब अमीरात की समृद्धि के सारथी बनने जा रहे हैं.

प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं अरबी में कुछ वाक्य बोलने का प्रयास कर रहा हूं- “अल हिंद वल इमारात, बी-कलम अल ज़मान, वल किताब अद्दुनिया. नक्तुबु, हिसाब ली मुस्तकबल अफ़दल. व सदाका बयिना, अल हिंद वल इमारात हिया, सरवतना अल मुश्तरका. फ़िल हक़ीका, नहनु, फ़ी बीदएया, साईदा ली मुस्तकबल जईईदा…” मैंने अरबी में बोलने की कोशिश की है. अगर उच्चारण में कुछ गलती हो तो मैं संयुक्त अरब अमीरात के अपने के साथियों से माफी जरूर मांगूंगा. और जिन्हें समझ नहीं आया कि मैंने क्या कहा है, उन्हें मैं इसका अर्थ भी समझा रहा हूं. जो मैंने अरबी में कहा, उसका अर्थ है- भारत और संयुक्त अरब अमीरात, वक्त की कलम से दुनिया की किताब पर, एक बेहतर भाग्य का हिसाब लिख रहे हैं. भारत और संयुक्त अरब अमीरात, की दोस्ती हमारी साझा दौलत है हकीकत में हम, अच्छे भविष्य की बेहतरीन शुरुआत कर रहें हैं. अब आप सोचिए, कलम, किताब, दुनिया, हिसाब, जमीन, ये हिंदुस्तान में कितनी सहजता से बोले जाने वाले शब्द हैं. और ये शब्द वहां कैसे पहुंचे हैं? यहां गल्फ के इस क्षेत्र से. हम दोनों देशों का नाता, सैकड़ों-हजारों वर्षों का है. और भारत की कामना है कि ये ऐसे ही दिनों-दिन और मजबूत होता रहे.