नई दिल्लीः संसद की वी विजयसाई रेड्डी की अध्यक्षता वाली समिति ने संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा है कि समिति इस बात पर जोर देती है कि साहित्य अकादेमी अथवा अन्य अकादमियां अराजनीतिक संगठन है. राजनीति के लिए इनमें कोई स्थान नहीं है. इसलिए समिति का सुझाव है कि जब भी कोई पुरस्कार दिया जाएतो प्राप्तकर्ता की सहमति अवश्य ली जानी चाहिएताकि वह राजनीतिक कारणों से इसे वापस न लौटाए क्योंकि यह देश के लिए अपमानजनक है. इसलिए समिति ने अंतिम रूप दिए जाने से पहले पुरस्कारों के लिए सूचीबद्ध उम्मीदवारों की पूर्व सहमति की सिफारिश करती है.  ऐसी प्रणाली स्थापित की जा सकती हैजहां प्रस्तावित पुरस्कार विजेता से पुरस्कार की स्वीकृति का संदर्भ देते हुए एक संकल्प लिया जाए ताकि पुरस्कार विजेता भविष्य में कभी भी पुरस्कार का अपमान नहीं कर सके. रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे शपथपत्र के बिना अकादमी पुरस्कार नहीं दिए जाने चाहिए और पुरस्कार वापस लौटाए जाने की स्थिति मेंभविष्य में ऐसे किसी सम्मान के लिए उन लोगों पर विचार नहीं किया जाना चाहिए.

परिवहनसंस्कृति और पर्यटन विभाग संबंधी स्थायी समिति की ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह समिति अकादमियों द्वारा दिए गए पुरस्कार (जैसे साहित्य अकादेमी पुरस्कार) प्राप्तकर्ताओं द्वारा कुछ राजनीतिक मुद्दों के विरोध में अपने पुरस्कार लौटाने के उदाहरणों पर गौर करती हैजो सांस्कृतिक दायरे और संबंधित अकादमी के स्वायत्त कामकाज की सीमा से बाहर है. पुरस्कार लौटाने से जुड़ी ऐसी अनुचित घटनाएं अन्य पुरस्कार विजेताओं की उपलब्धियों को कमतर करती हैं और पुरस्कारों की समग्र प्रतिष्ठा और ख्याति पर भी असर डालती हैं. समिति ने ऐसे पुरस्कार विजेताओं की दोबारा नियुक्ति पर सवाल उठाया जो अकादमी का अपमान करने के बाद भी इसमें शामिल किए गए. रिपोर्ट में कहा गया है कि संस्कृति मंत्रालय के अनुसार 2015 में कुल 39 लेखकों ने साहित्य अकादेमी को अपने पुरस्कार राजनीतिक कारण से लौटाएक्योंकि कर्नाटक के प्रख्यात लेखक कलबुर्गी की हत्या कर दी गई थी.