नई दिल्ली: कौन कहता है कि किताबें नहीं पढ़ी जातीं या उनसे लोगों को मुहब्बत नहीं है. नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले का एक दिन इसका गवाह भी थी, जब सप्ताहांत में करीब 1.5 लाख पाठक प्रगति मैदान में आए. साहित्यकारों, शिक्षाविदों और लाखों पुस्तक प्रेमियों से मेला-स्थल जैसे जीवंत हो उठा. इस दौरान अपनी पसंदीदा पुस्तकें खरीदी गईं, चर्चाएं हुईं, सेल्फी ली गईं, सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए और देश-विदेश की संस्कृति को बहुत ही खूबसूरत ढंग समझा गया. एक विशेष बात यह भी कि ‘बुक्स फार आल‘ अभियान के तहत राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत ने अखिल भारतीय नेत्रहीन संघ, नई दिल्ली के यूडीआईडी धारक 24 दिव्यांग बच्चों को ब्रेल पुस्तकें वितरित कीं. दिव्यांग छात्रों की शिक्षक पूनम राणा ने कहा कि वे पिछले 18 वर्षों से दिव्यांग बच्चों को पढ़ा रही हैं. स्कूली पाठ्यक्रम से हटकर पहली बार बच्चों के लिए तैयार कहानियों की ब्रेल पुस्तकों से दिव्यांग बच्चों की कल्पना शक्ति को उड़ान मिलेगी.
थीम मंडप में फेस्टिवल्स आफ फेस्टिवल के तहत भारत लिटरेचर फेस्टिवल ने ‘भारत-पाक संबंधों में कूटनीति पर चर्चा‘ सत्र का आयोजन किया, तोरणनीतिक सलाहकार और अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार आईएफएस अजय बिसारिया ने विस्तार से चर्चा की. उन्होंने अपनी पुस्तक ‘एंगर मैनेजमेंट: द ट्रबल्ड डिप्लोमेटिक रिलेशनशिप बिटविन इंडिया एंड पाकिस्तान‘ का भी जिक्र किया. द ग्रेट इंडियन बुक टूर ने ‘भारत के लेंस के माध्यम से कविता‘ विषय पर सत्र आयोजित किया. इसमें प्रेरणा सिन्हा, परिश्मिता बरुआ, डा रितु कामरा कुमार ने कविता के विभिन्न पक्षों पर विचार व्यक्त किए. डा रितु कामरा कुमार ने कहा कि कागज में लोगों की तुलना में अधिक धैर्य होता है. उन्होंने रवीन्द्रनाथ टैगोर की एक कविता सुनाई, जिसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया कि कविता दो प्रकार की होती है- या तो वह आपके दिल को छूती है और आपको प्यार में डाल देती है, या वह आपके दिमाग को छूती है और विद्रोह को जन्म देती है. ‘फूड फ्रेंडशिप एंड कम्युनियन: ए कन्वर्सेशन विद शेफ्स एंड कुक बुक आथर्स‘ विषय पर एक पैनल चर्चा का आयोजन किया. इस सत्र में इंडियन कलिनरी फोरम के अध्यक्ष शेफ मनीष भसिन एवं सदफ हुसैन ने अपने विचार रखे और बताया कि आज खाद्य उद्योग का भविष्य उज्ज्वल है और युवाओं की इसमें रुचि बढ़ रही है.