नई दिल्ली: “महामना जैसे व्यक्तित्व सदियों में एक बार जन्म लेते हैं, और आने वाली कई सदियां तक हर पल, हर समय उनसे प्रभावित होते हैं. भारत की कितनी ही पीढ़ियों पर महामना जी का ऋण है.” यह बात विज्ञान भवन में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की 162 वीं जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कही. वे ‘पंडित मदन मोहन मालवीय की संकलित रचनाओं’ के 11 खंडों की प्रथम श्रृंखला का विमोचन कर रहे थे. प्रधानमंत्री ने कहा कि महामना शिक्षा और योग्यता में उस समय के बड़े से बड़े विद्वानों की बराबरी करते थे. वो आधुनिक सोच और सनातन संस्कारों के संगम थे! उन्होंने स्वतन्त्रता संग्राम में जितनी बड़ी भूमिका निभाई, उतना ही सक्रिय योगदान देश की आध्यात्मिक आत्मा को जगाने में भी दिया! उनकी एक दृष्टि अगर वर्तमान की चुनौतियों पर थी तो दूसरी दृष्टि भविष्य निर्माण में लगी थी!  महामना जिस भूमिका में रहे, उन्होंने ‘राष्ट्र प्रथम’ के संकल्प को सर्वोपरि रखा. वो देश के लिए बड़ी से बड़ी ताकत से टकराए. मुश्किल से मुश्किल माहौल में भी उन्होंने देश के लिए संभावनाओं के नए बीज बोये. महामना के ऐसे कितने ही योगदान हैं, जो सम्पूर्ण वांग्मय के 11 खंडों के जरिए अब प्रामाणिक रूप से सामने आएंगे.

प्रधानमंत्री ने कहा कि पंडित मदनमोहन मालवीय सम्पूर्ण वांग्मय का लोकार्पण होना अपने आपमें बहुत महत्वपूर्ण है. ये सम्पूर्ण वांगमय, महामना के विचारों से, आदर्शों से, उनके जीवन से, हमारी युवा पीढ़ी को और हमारी आने वाली पीढ़ी को परिचित कराने का एक सश्क्त माध्यम बनेगा. इसके जरिए, भारत के स्वतन्त्रता संग्राम और तत्कालीन इतिहास को जानने समझने का एक द्वार खुलेगा. खासकर, रिसर्च स्कॉलर के लिए, इतिहास और राजनीति विज्ञान के छात्रों के लिए, ये वांगमय किसी बौद्धिक खजाने से कम नहीं है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना से जुड़े प्रसंग, कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के साथ उनका संवाद, अंग्रेजी हुकूमत के प्रति उनका सख्त रवैया, भारत की प्राचीन विरासत का मान…इन पुस्तकों में क्या कुछ नहीं है. सबसे महत्त्वपूर्ण बात कि इनमें से एक खंड महामना की निजी डायरी से जुड़ा है. महामना की डायरी समाज, राष्ट्र और आध्यात्म जैसे सभी आयामों में भारतीय जनमानस का पथ प्रदर्शन कर सकती है. इसे मैं अपनी सरकार का सौभाग्य समझता हूं कि हमने उन्हें भारत रत्न दिया. महामना की तरह मुझे भी ईश्वर ने काशी की सेवा का मौका दिया है. और मेरा ये भी सौभाग्य है कि 2014 में चुनाव लड़ने के लिए मैंने जो नामांकन भरा उसको प्रपोज करने वाले मालवीय जी के परिवार के सदस्य थे. महामना की काशी के प्रति अगाध आस्था थी. आज काशी विकास की नई ऊंचाइयों को छू रही है, अपनी विरासत के गौरव को पुनर्स्थापित कर रही है.