नागपुरः “हमें अपने राष्ट्रवाद में विश्वास करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारी पहली प्राथमिकता हमारा राष्ट्र, हमारा राष्ट्रवाद, हमारी संस्थाएं हैं. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने यह बात राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह के उद्घाटन उद्बोधन में कही. उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि ‘लोकतंत्र के मंदिरों को वास्तव में नष्ट किया जा रहा है. उपराष्ट्रपति ने नागरिकों को आगाह किया कि यदि इन स्थानों को चर्चा, संवाद और बहस के मंच के रूप में संरक्षित नहीं किया गया, तो उनपर वैसी शक्तियों का कब्जा होने की आशंका है जो न तो प्रातिनिधिक हैं और न ही राष्ट्र के लोगों के प्रति उत्तरदायी हैं. उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग की अनुमति नहीं दी जा सकती. उन्होंने कहा कि मैं अपने युवा मित्रों से कहूंगा कि वे डर से कभी डरें नहीं. कभी भी तनाव और दबाव में न रहें. भय का डर मनुष्य की सबसे बड़ी कमजोरी है. पहली कोशिश में आज तक कोई भी सफल नहीं हुआ है.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि अधिकांश ऐतिहासिक उपलब्धियां, वैज्ञानिक अनुसंधान और आविष्कार कई कोशिशों के पश्चात ही हो पाये हैं. इसलिए, अपनी प्रतिभा के लिए पूरी मेहनत के साथ काम करें. फैसला लेने में जल्दबाजी न करें और चीजों को तेजी से समझने की कोशिश करें. इन दिनों असहिष्णुता का आलम यह है कि हम दूसरों की बात सुनने को तैयार ही नहीं हैं. हम दूसरे के दृष्टिकोण पर मंथन करने के लिए राजी ही नहीं हैं. हम दूसरे के दृष्टिकोण के प्रति बहुत असहिष्णु हैं. मैं अपने युवा मित्रों से अपील करता हूं कि ऐसा दृष्टिकोण कतई न रखें. उन लोगों के संग दिमाग खोलकर रखें, जो आपसे असहमत हैं. जैसे ही आप उनके रुख की सराहना करेंगे, आप समझदार हो जायेंगे. इसका मतलब यह नहीं है कि आपका रुख सही नहीं है, इसका मतलब यह नहीं है कि आपको उनके रुख से सहमत होना होगा. सच्चाई सबसे अहम है लेकिन सत्य की वास्तविक खोज उन लोगों से अपने को जोड़ना है, जो लोग वैसा नहीं सोचते, जैसा आप सोचते-समझते हैं. इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस, केंद्रीय राजमार्ग एवं सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस, राष्ट्रसंत तुकाडोजी महाराज नागपुर विद्यापीठ के कुलपति डा सुभाष चौधरी तथ्य अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे.