मोहालीः “एक राष्ट्र के रूप में हम इस बात पर गर्व कर सकते हैं कि हमारे पास अद्वितीय विरासत है जो अन्य देशों के लिए अज्ञात है. इतने लंबे समय तक और अगर हम अपनी 5000 साल की सभ्यता की यात्रा को आगे ले जाएं, तो हम देखेंगे कि भारत दुनिया के गौरव, ज्ञान और संस्कृति का केंद्र था.” उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान मोहाली में छात्रों, शोधार्थियों को संबोधित करते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा कि ज्ञान की खोज में दुनिया भर से लोग यहां आए. यही आपका आदर्श वाक्य है. आपने क्या आदर्श वाक्य अपनाया है. नालंदा, तक्षशिला, दुनिया भर से लोग ज्ञान की खोज में आए, ज्ञान और बुद्धिमता को साझा किया. उपराष्ट्रपति ने कहा कि अनुसंधान आर्थिक वर्चस्व और वैश्विक विशिष्टता का आधार है. एक समय था जब हम शोध पर ध्यान केंद्रित नहीं करते थे और सोचते थे कि कोई हमें मूल्य तय कर अनुसंधान देगा. कोई यह तय करेगा कि कितना देना है, किन शर्तों पर देना है, लेकिन अब हमने इसे बदल दिया है. जो राष्ट्र अनुसंधान में अग्रणी भूमिका निभाते हैं, उन्हें अर्थशास्त्र और रणनीति में विश्व स्तर पर सम्मान प्राप्त होता है. और देश उन पर निर्भर हैं. उपराष्ट्रपति ने कहा कि जरा कल्पना कीजिए कि मौसम की भविष्यवाणी के मामले में हम कितनी दूर आ गए हैं. हम विश्व में सर्वश्रेष्ठ में से एक हैं. पश्चिम बंगाल के गवर्नर-जनरल के रूप में, तथा यह राज्य चक्रवातों, सुपर चक्रवातों से ग्रस्त है, तूफानी समुद्र में कोई मृत्यु नहीं हुई है. यह भविष्यवाणी बहुत सटीक थी. वैज्ञानिक शक्ति सामरिक शक्ति को परिभाषित करती है. पारंपरिक युद्ध ख़त्म हो गए हैं.
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि हमारे पास एक प्राचीन विरासत है कि हम शोधकर्ता रहे हैं, अन्वेषक रहे हैं, जिन्होंने गणित या अंकगणित में शून्य से लेकर आगे तक विश्व को कुछ न कुछ देते रहे हैं. आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त ने विश्व गणित की नींव रखी. उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारे वैज्ञानिक पंडित रमन, जिन्हें रमन प्रभाव के नाम से जाना जाता है, बोस साराभाई, चंद्रशेखर, शाह, भटनागर और हमारे पूर्व राष्ट्रपति, वे भारत की अनुसंधान करने वाली मानसिकता, भारत की प्रवृत्ति का वर्णन करते हैं. वे अनुसंधान के प्रति प्रतिबद्धता का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं. और उन दिनों को देखिये, हम औपनिवेशिक जंजीरों में जकड़े हुए थे. रमन प्रभाव की खोज औपनिवेशिक संशयवाद के विरुद्ध की गई थी. उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह हमारी भारतीय वैज्ञानिक मान्यताओं का प्रमाण है. आधुनिक अनुसंधान समय की मांग है और अनुसंधान को समाज की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एकीकृत किया जाना चाहिए. वह शोध जो शेल्फ पर रख दिया जाए, वह शोध जो अपने लिए हो, वह शोध जो किसी प्रोफाइल को सजाता हो, वह शोध जो केवल साख बढ़ाने में योगदान देता हो, वह शोध नहीं है. जो अध्ययन केवल सतह को खरोंचता है, वह अनुसंधान नहीं है. अनुसंधान प्रामाणिक होना चाहिए. उपराष्ट्रपति ने कहा कि अनुसंधान से हलचल पैदा होनी चाहिए. इसका लोगों के जीवन पर सकारात्मक और व्यापक प्रभाव होना चाहिए. उद्योग, व्यवसाय, व्यापार और वाणिज्य अनुसंधान द्वारा संचालित होते हैं. हम इस समय ऐसे समय में रह रहे हैं जिसकी हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी. आप भी मेरी तरह इन मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. हम इन्हें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट आफ थिंग्स, ब्लाकचेन, मशीन लर्निंग आदि कहते हैं. कुछ लोगों के लिए ब्लाकचेन, ब्लाकचेन ही हो सकता है. मशीन लर्निंग केवल मशीन लर्निंग ही हो सकती है. लेकिन देखिये इन प्रौद्योगिकियों में कितनी शक्ति है.