रांची: “ऐसा कहा जाता है कि स्वर्णरेखा नदी के जल-सेवन मात्र से ही मनुष्य को ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है. ऐसी भूमि और नदी के सान्निध्य में शिक्षा प्राप्त करना आपके लिए सौभाग्य की बात है.” यह बात राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने झारखंड केन्द्रीय विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कही. विश्वविद्यालय परिसर के पास स्वर्णरेखा नदी के प्रवाहित होने का उल्लेख करते हुए उन्होंने बाबा बैद्यनाथ की पुण्य भूमि पर स्थित झारखंड केन्द्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में आने पर खुशी जाहिर की और विश्वविद्यालय का आदर्श वाक्य है ‘ज्ञानात् ही बुद्धि कौशलम‘ जिसका अर्थ ‘ज्ञान से ही बुद्धि और कौशल का विकास होता है‘ की याद दिलाते हुए छात्रों से आह्वान किया कि वे विद्यार्थी जीवन से निकलकर चुनौतियों से भरे विश्व में प्रवेश करते समय संस्थान द्वारा प्रदान किए गए ज्ञान का सार्थक उपयोग करेंगे. राष्ट्रपति ने कहा कि अब आप सब को जीवन की जटिल परीक्षाओं का सामना करना हैजहां वास्तव में आपकी बुद्धि और कौशल का आपको उपयोग करना होगा और विभिन्न समस्याओं के हल खोजने होंगे.

राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रपति भवन में पद्म पुरस्कार प्रदान करते समयशिक्षण संस्थानों के दीक्षांत समारोहों मेंविभिन्न सेवाओं के प्रशिक्षु अधिकारियों से मिलते समयमुझे अहसास होता है कि आज हमारी महिलाएं और बेटियां सभी क्षेत्रों में श्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही हैं. यहां स्वर्ण पदक प्राप्त विद्यार्थियों में बेटियों की संख्या लगभग 50 प्रतिशत है. प्रत्येक बाधा एवं अवरोध को पार करके इनके द्वारा प्राप्त की गई सफलताहमारे समाज के लिए तथा सुनहरे भविष्य का सपना संजोने वाली हर बेटी के लिए प्रेरणास्रोत हैं. राष्ट्रपति ने झारखंड केन्द्रीय विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर आधारित शिक्षा पद्धति को अपनाने पर खुशी जताई और विश्वविद्यालय द्वारा स्थानीय भाषासाहित्य एवं संगीत की सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजने एवं बढ़ावा देने के लिए विशेष केंद्रों के निर्माण और भारतीय संस्कृतिखास तौर परजनजातीय समाज की संस्कृति के संरक्षणअध्ययन और प्रचार कार्यों के लिए विश्वविद्यालय की सराहना की. उन्होंने संतोष जताया कि जनजातीय लोग भी विकास की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं. उनके पास पारंपरिक ज्ञान का भंडार है. उनकी जीवन शैली में अनेक ऐसी परम्पराएं हैं जो अन्य लोगों और समुदायों के जीवन को भी बेहतर बना सकती हैं.