नई दिल्ली: “भारत की पारंपरिक चिकित्सा की समृद्ध टेपेस्ट्री हमारे पूर्वजों के गहन ज्ञान का प्रमाण है. इसमें आयुर्वेदसिद्धयूनानी और योग शामिल है. यह विज्ञानदर्शन और आध्यात्मिकता का एक ऐसा आदर्श मिश्रण हैजो मनशरीर और आत्मा और प्रकृति के बीच संतुलन के पूर्ण सामंजस्य पर बल देता है.” यह बात उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कर्नाटक के बेलगावी में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ‘राष्ट्रीय पारंपरिक चिकित्सा संस्थान‘ के 18वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कही. उपराष्ट्रपति ने देश में फिटनेस संस्कृति विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि प्रत्येक भारतीय फिट और स्वस्थ रह कर भारत के विकसित भारत @2047 में सकारात्मक योगदान देने में सक्षम हो सके. उपराष्ट्रपति ने कहा कि स्वास्थ्य की बात आने पर ‘हमारे ज्ञानहमारी मेधा में पहले से ही क्या हैपर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है.

भावी पीढ़ियों के लिए हमारी जैव विविधता और पारंपरिक ज्ञान की रक्षा करने की आवश्यकता पर बल देते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने देश को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाने के पवित्र कार्य में हर गांव को सम्मिलित करने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि मैं पंचायत स्तर पर भी आग्रह करूंगा कि हमें औषधीय और जड़ी-बूटी युक्त पौधों पर विशेष ध्यान देना चाहिए. अंततोगत्वा ये पौधे एक प्रयोगशाला में परिवर्तित हो जाएंगे और हमें वह देंगे जो हमारी मूलभूत आवश्यकता है. कई आधुनिक रोगों के उचित समाधान की दिशा में काम करने के लिए राष्ट्रीय पारंपरिक चिकित्सा संस्थान के शोधकर्ताओं की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कारपोरेट जगत और जन नेताओं से अनुसंधान और विकास का समर्थन करने के लिए हर संभव प्रयास करने का आह्वान किया. उन्होंने आग्रह किया कि कृपया आगे आएंअनुसंधानविकासनवाचार और स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए अपने सीएसआर का उपयोग करें. इससे हमारा बहुत भला होगा. इस अवसर पर डा सुदेश धनखड़कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोतडा राजीव बहलसचिव डीएचआर और महानिदेशक आईसीएमआर अनु नागरसंयुक्त सचिव डीएचआर डा सुबर्णा राय आदि भी उपस्थित थे.