लखनऊ: लाखों असहाय हिंदुओं के गले काटने वाले औरंगजेब का गुणगान इतिहास में है. 40 हजार हिंदुओं की हत्या कराने वाला अकबर महान है. ऐसे हत्यारों का इतिहास हमारी पीढ़ियों को पढ़ना पड़ रहा है. कुछ लोगों ने जानबूझकर भारत के गौरवशाली इतिहास के सही तथ्यों को आगे नहीं बढ़ाया. इतिहास के पुनर्लेखन की जरूरत है. कुछ सही इतिहास लिखने का प्रयास अब हुआ है, लेकिन उस इतिहास को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाए जाने की जरूरत है. इतिहास में क्या सच है क्या झूठ, उसे सामने लाने के लिए एक स्वतंत्र कमीशन बनाकर जांच कराने की भी जरूरत है. संवादी में ‘जागरण बेस्टसेलर‘ सत्र में इसे लेकर जोरदार चर्चा हुई. जिसमें लेखक, स्तंभकार और ईएनटी सर्जन डा ओमेंद्र रत्नू और भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी डा हीरालाल के साथ नवलकांत सिन्हा ने संवाद किया. जागरण बेस्टसेलर में कैसे कोई पुस्तक अपनी जगह बनाती है, इस प्रक्रिया को समझाते हुए नवलकांत सिन्हा ने कहा, चार श्रेणियों कथा, कथेतर, अनुवाद और कविता पर अंतरराष्ट्रीय सर्वे एजेंसी नीलसन बुक इंडिया के साथ दैनिक जागरण हर तीन माह में हिंदी की सबसे अधिक पसंद की जाने वाली पुस्तकों की सूची जारी करता है. देश के 55 शहरों में वैज्ञानिक तरीके से सर्वे होता है.
बेस्टसेलर सूची में शामिल पुस्तक ‘डायनेमिक डीएम‘ के लेखक डा हीरालाल से पूछा गया कि उन्होंने जल संरक्षण का काम कैसे शुरू किया? एक आईएएस रहते हुए पुस्तक कैसे लिखी? डा हीरालाल ने कहा कि जब बांदा में डीएम बनकर गया, तो पता चला कि वहां पानी की किल्लत से लोगों की शादियां नहीं हो रही हैं. इस पर जनसहभागिता से एक साल के भीतर डेढ़ मीटर जलस्तर ऊपर कर दिया. बहुत से पत्रकार बार-बार पूछते थे कि पानी बचाने का अभियान कैसे सफल हुआ. इसे बताने के लिए मैंने इनोवेटिव बांदा नाम से बुकलेट तैयार की, जो आगे चलकर एक पुस्तक बन गई. डा ओमेंद्र रत्नू ने अपनी पुस्तक ‘महाराणा: सहस्त्र वर्षों का धर्मयुद्ध‘ में इतिहास की सच्चाई को सामने रखा है. उन्होंने दर्शकों से अकबर और महाराणा कुंभा से जुड़ा सवाल पूछते हुए कहा कि इतिहास में हिंदू समाज को बुरी तरह से छला गया है. 1947 में आजादी नहीं मिली, केवल सत्ता का हस्तांतरण हुआ. गोरे लोगों से भूरे लोगों के पास सत्ता आई, जो और भी खतरनाक है. गलत इतिहास लेखन के लिए उन्होंने भारत के शुरुआती शिक्षा मंत्री को दोषी ठहराते हुए इतिहास के सही लेखन और पठन-पाठन पर जोर दिया. पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदू और सिख परिवार की स्थिति के विषय पर नवलकांत सिन्हा ने प्रश्न किया तो वह भावुक हो गए. बोले, जयपुर में 60 हजार विस्थापित सिख और हिंदू हैं. उनसे मिलकर लगेगा कि तमाम जुल्म सहते हुए भी उन्होंने इस्लाम को नहीं स्वीकारा. डा रत्नू ने गीत सुनाया, ‘प्राणों का बंधन, हृदय का तू स्पंदन, सांसों की वीणा, परम का अभिनंदन.‘