भुवनेश्वर: “प्रकृति के अनुकूल जीवन शैली भारतीय संस्कृति की विशेषता है. यह आदिवासी जीवन का भी अभिन्न अंग है. आदिवासी भाई-बहन जंगल, पेड़ आदि को देवता मानकर पूजते हैं. आदिवासी मान्यताओं के अनुसार, उनके पूर्वजों की आत्माएं जंगल में निवास करती हैं. यह मान्यता वन संरक्षण का महामंत्र है.” राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कलियापल्ली में भारतीय विश्वबासु शबर समाज के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही. राष्ट्रपति ने कलियापल्ली में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि इस क्षेत्र के शानदार दृश्य बहुत ही आकर्षक हैं. इसमें एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बनने की क्षमता है. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस क्षेत्र में इंफ्रास्टक्चर के विकास से पर्यटक और तीर्थयात्री आकर्षित होंगे. इससे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा.

राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि सरकार आदिवासी भाई-बहनों के सशक्तिकरण और स्वावलंबन के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है, साथ ही उनकी कला और संस्कृति को संरक्षित और संवर्धित कर रही है. उन्होंने आदिवासी भाई-बहनों से अपील करते हुए कहा कि वे कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जागरूक हों और उनका लाभ उठाएं. उन्होंने कहा कि सरकार की योजनाएं लोगों के सहयोग और भागीदारी से ही सफल होंगी. उन्होंने सभी से इस स्थान और क्षेत्र के विकास में योगदान देने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि सभी को कृषि, हस्तशिल्प, पर्यटन आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में नयागढ़ की संभावनाओं को आकार देने के लिए आगे आना चाहिए. राष्ट्रपति छत्तीसगढ़ के रायपुर से ओडिशा के भुवनेश्वर पहुंचीं और भुवनेश्वर से नयागढ़ की यात्रा की. उन्होंने भगवान नीलमाधव मंदिर में दर्शन और पूजा-अर्चना की.