चित्रकूट: “नानाजी देशमुख ने कला, साहित्य, उद्योग, सेवा और राजनीति सहित लगभग हर क्षेत्र में संपर्क बनाया और उस क्षेत्र में स्वीकृति एवं सम्मान प्राप्त किया. एक जीवन में इतना सब कुछ प्राप्त करना काफी कठिन है.” केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मध्य प्रदेश के चित्रकूट में भारत रत्न नानाजी देशमुख की 15वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही. इस अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डा मोहन यादव और उप-मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे. केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि राजनीति में रहते हुए सर्व-स्वीकृति लाना बड़ा कठिन है, राजनीतिक उद्देश्यों से भी विरोध करना पड़ता है. लेकिन इतने लंबे जीवन में भी किसी ने नानाजी के विरोध का साहस नहीं किया और ना ही उनका विरोध करना उचित समझा. उन्होंने कहा कि नानाजी देशमुख उन लोगों में शामिल हैं, जिनका जीवन कुछ वर्षों तक नहीं बल्कि युगों तक अपना असर छोड़ता है और ऐसे लोग युग को परिवर्तनकारी बनाने का काम करते हैं. श्री शाह ने कहा कि महाराष्ट्र में जन्म लेने वाले नानाजी बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे, संघ के प्रचारक बने, उत्तर प्रदेश को कार्य क्षेत्र बनाया, भारतीय जनसंघ के महासचिव बने और दीन दयाल जी के साथ रह कर उत्तर प्रदेश में जन संघ की नींव डालने के लिए हर खंड-प्रखंड तक प्रवास किया. नानाजी ने अपने जीवन का क्षण-क्षण और शरीर का कण-कण भारत माता को अर्पित कर शतायु होने का सौभाग्य प्राप्त किया. उन्होंने कहा कि राजनीति में रहते हुए अजातशत्रु होकर दुनिया से जाना बड़ा कठिन है, लेकिन आज तक न तो सत्ता पक्ष और ना ही विपक्ष के किसी नेता से नानाजी के बारे में कोई गलत बात सुनी. शाह ने कहा कि जब नानाजी की उम्र सिर्फ 60 साल थी, तब उन्होंने राजनीति से अलग होकर शेष जीवन ‘एकात्म मानववाद’ को जमीन पर उतारने का निर्णय किया. वह राजनीति में भी जल कमल की तरह रहे, हर बुराई से खुद को अलग रखा और पूरा जीवन बुराइयों को दूर करने में व्यतीत किया.

केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने कहा कि नानाजी ने अपनी कर्मठता से राजनीति में ऐसे सिद्धांत स्थापित किए हैं जो आने वाली पीढ़ियों के लिए आदर्श बने रहेंगे. उन्होंने कहा कि नानाजी के द्वारा किए गए छोटे-छोटे प्रयोगों ने भारत के गांवों का दृश्य-परिदृश्य बदलने का काम किया है. उन्होंने कहा कि नानाजी ने ग्रामोत्थान के माध्यम से दीनदयाल जी के अंत्योदय के सिद्धांत को जमीन पर उतारने का काम किया.केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि नानाजी देशमुख और दीन दयाल उपाध्याय के रूप में भारतीय जनसंघ ने एक ही कालखंड में दो महापुरुष देश की राजनीति को दिए. दोनों का जन्म 1916 में हुआ. उन्होंने कहा कि देश की आजादी के बाद जब नीतियां बन रही थीं, तो लोग देश की नीतियों को चिंता के साथ देख रहे थे. देश की विदेश, अर्थ, कृषि और शिक्षा जैसी नीतियों में हमारे चिर पुरातन राष्ट्र की मिट्टी की सुगंध नहीं थी. उस समय की सरकार पश्चिम से लिए गए सिद्धांतों का हिन्दीकरण करके नीतियां बनाने का संतोष प्राप्त करती थी. उस वक़्त पंडित दीन दयाल जी ने ‘एकात्म मानववाद’ का सिद्धांत प्रस्थापित करके बताया कि हमारा आर्थिक दर्शन, हमारी विदेश नीति कैसी हो और विश्व बंधुत्व के आधार पर विदेश को देखने का हमारा नजरिया कैसा हो. उन्होंने कहा कि यही सिद्धांत आज हमें विश्व में सर्वश्रेष्ठ बनाने की ओर ले जा रहा है. केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि नानाजी के समग्र व्यक्तित्व को देखें तो पूरा जीवन संघ के संस्कारों से संस्कारित रहा. इसके साथ ही बाल गंगाधर तिलक के राष्ट्रवाद और महात्मा गांधी के ‘ग्राम स्वराज’ का अद्भुत मेल अगर किसी एक व्यक्ति में देखने को मिलता है तो वे नानाजी देशमुख हैं. शाह ने कहा कि नानाजी ने सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना की, आज देशभर में हजारों की संख्या में यह विद्यालय बच्चों को शिक्षा और संस्कार दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि गोरखपुर में सबसे पहला सरस्वती शिशु मंदिर नानाजी ने स्थापित किया था, जो आज वट वृक्ष बन चुका है. उन्होंने कहा कि नानाजी ने पूरा जीवन सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को चरितार्थ करने के लिए काम किया.